आंध्र प्रदेश की पार्टी वायएसआर कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस के बाद विपक्षी दलों में राजनीतिक हलचलें तेज हो गई है. टीडीपी द्वारा एनडीए से बाहर होने की घोषणा के बाद राजनीतिक पारा और ऊपर चढ़ गया है, लेकिन इस मामले ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है. आपको बताएं कि कांग्रेस इस बात को जानती है कि इस प्रस्ताव का समर्थन करने के बाद भाजपा को यह भी पता चल जाएगा कि किस दल का भविष्य में रुख किसके साथ हो सकता है.कांग्रेस की दूसरी दुविधा विपक्षी दलों की एकता की है.जिसके लिए उसने खुद ने पहल की है. इसे लेकर दो दिन पूर्व विपक्षी नेताओं को डिनर पर आमंत्रित भी किया था. यदि ऐसे में वह इस अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती है, तो अन्य पार्टियों में गलत सन्देश जाएगा.इस प्रस्ताव से किनारा करने पर उसका नुकसान होगा.वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी के साथ कुछ और दल के आ जाने पर कांग्रेस को इस प्रस्ताव का समर्थन करना मजबूरी हो जाएगा. जबकि दूसरी ओर कांग्रेस के असमंजस का एक कारण यह भी है कि आंध्र प्रदेश का मुद्दा वैसे देखा जाए तो क्षेत्रीय ही है,जो आंध्र प्रदेश की राजनीति से जुड़ा होने के कारण टीडीपी को वायएसआर कांग्रेस का समर्थन देना उसकी मजबूरी बन गया है.इसीलिए कांग्रेस, टीएमसी सहित अन्य विपक्षी दल इसी असमंजस में हैं, कि एक क्षेत्रीय मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करें कि नहीं करें. यह मुद्दा अन्य विपक्षी दलों के लिए एक तरफ कुआँ ,दूसरी तरफ खाई वाला बन गया है. यह भी देखें पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को देश का पावर हाउस बताया लोगों की आंखों में 'मोदी लहर' का पानी सूख चुका है- शिवसेना