श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर जारी गतिरोध तो दूर हो गया है, किन्तु गांठ बनी हुई है। लद्दाख लोकसभा सीट पर फैसला टल गया है, जबकि रार की मुख्य वजह बनी अनंतनाग लोकसभा सीट पर न कांग्रेस झुकी और न नेकां ने हार स्वीकार की। अनंतनाग की तरह बारामुला सीट पर दोनों अपने-अपने उम्मीदवार उतारेंगे पर मुकाबला दोस्ताना रहेगा। यहां से हर माह कमाए 62 हजार रु, सीनियर रेजिडेंट के लिए निकली भर्तियां केवल श्रीनगर लोकसभा सीट और जम्मू संभाग की दो सीटों पर कांग्रेस व नेकां एक-दूसरे की मदद करेंगी। श्रीनगर लोकसभा सीट नेकां के हिस्से में आई और जम्मू-पुंछ व ऊधमपुर-डोडा-कठुआ से कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतारेगी। फिलहाल, नेकां-पीडीपी न तेरी-न मेरी के इस फार्मूले को दोनों के लिए जीत करार दे रहे हैं। अलबत्ता, राजनीति पर निगाह रखने वाले जानकर इसे आधा अधूरा गठबंधन भी मान रहे हैं। लंदन में गिरफ्तार हुआ 13 हजार करोड़ का घोटालेबाज मोदी, जल्द होगी कोर्ट में पेशी नेकां व कांग्रेस के मध्य लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन में उस समय गतिरोध उत्पन्न हुआ था जब नेकां ने कश्मीर की तीन व लद्दाख प्रांत की सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान करने के साथ कहा था कि कांग्रेस के साथ केवल जम्मू संभाग की दो सीटों पर चर्चा होगी। जवाब में कांग्रेस ने भी जम्मू संभाग की दो सीटों के साथ ही दक्षिण कश्मीर और लद्दाख सीट पर भी अपनी दावेदारी ठोंक दी थी। सीटों पर तालमेल को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी को नई दिल्ली से ख़ास तौर पर जम्मू कश्मीर भेजा था। नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला के साथ उनके निवास पर बैठक लगभग 45 मिनट तक चली थी, जिसमे मुद्दों को सुलझा लिया गया। खबरें और भी:- कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच होगी दोस्ताना स्पर्धा : फारुख अब्दुल्ला महागठबंधन में तकरार के बीच तेजस्वी बोले- सब कुछ ठीक-ठाक 'मैं भी चौकीदार' पर कुछ ऐसा बोले अरविंद केजरीवाल