'नेशनल हेराल्ड की जांच हुई तो बड़ा खुलासा होगा..', कांग्रेस CM ने सालों पहले देख लिया था 'घोटाला'

नई दिल्ली: हाई प्रोफाइल नेशनल हेराल्ड केस से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया और पुत्र राहुल गांधी, केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में हैं। ED का मामला लोअर कोर्ट के उस आदेश पर आधारित है, जिसने आयकर विभाग को नेशनल हेराल्ड के मामलों की जांच करने और सोनिया और राहुल का कर निर्धारण करने की इजाजत दी थी। यह आदेश भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा 2013 में दाखिल एक याचिका पर आधारित था।

हालांकि, ऐसा पहली दफा नहीं हुआ है कि जब 1938 में भारत के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की स्थापना वाले अखबार नेशनल हेराल्ड के वित्त पोषण को लेकर सवाल उठे हैं। नेहरू के पार्टी सहयोगियों में से एक चंद्र भानु गुप्ता ने भी इल्जाम लगाया था कि वह अख़बार जिसके लिए पैसा जुटाया गया, वह पहले प्रधानमंत्री और बाद में उनकी बेटी इंदिरा गांधी का मुखपत्र बन गया। बता दें कि, चंद्र भानु गुप्ता देश के महान स्वतंत्रता सेनानी और चार बार के मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्हें नेहरू के दौर में उत्तर भारत में कांग्रेस के शीर्ष धन इकठ्ठा वालों में से एक माना जाता था। उन्होंने अपने संस्मरण ‘सफ़र कहीं रुका नहीं, झुका नहीं’ में लिखा है, “मुझे आश्चर्य है कि नेशनल हेराल्ड को अब नेहरू परिवार की संपत्ति माना जाता है। नेशनल हेराल्ड के लिए फंड कैसे जुटाया गया, यदि जांच आयोग इसकी जांच करता है, तो बड़ा खुलासा होगा। शुरू से ही नेशनल हेराल्ड की नीति नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी को बढ़ावा देने वाली रही। इसके लिए प्रेस की स्वतंत्रता का मतलब नेहरू परिवार की गलत नीतियों की आलोचना करने वाले पर हमला करना था।'

बता दें कि, चंद्र भानु गुप्ता 1960 में यूपी के तीसरे मुख्यमंत्री बने, मगर 1963 में कामराज योजना के तहत उन्हें पद से हटा दिया गया। के कामराज, जिन्होंने तत्कालीन मद्रास राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य किया था, उन्होंने नेहरू को प्रस्ताव दिया था कि सभी वरिष्ठ कांग्रेस मंत्री और सीएम अपने पद से त्यागपत्र दे दें और पार्टी का काम करें। 14 मार्च, 1967 को चंद्र भानु गुप्ता फिर से CM बने, मगर चरण सिंह के कांग्रेस छोड़ने और अपनी पार्टी बनाने के बाद 2 अप्रैल, 1967 को उन्हें पद छोड़ना पड़ा। चंद्र भानु गुप्ता 26 फरवरी 1969 को चौथी बार यूपी के सीएम बने, मगर एक वर्ष पूर्व ही कांग्रेस में फूट के चलते उन्हें बाहर कर दिया गया था।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस:-

बता दें कि, भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिवंगत नेता मोतीलाल वोरा, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा पर संगीन आरोप लगाए थे। उनका आरोप था कि यंग इंडिया लिमिटेड के माध्यम से गलत तरीके से इसका अधिग्रहण किया गया है और कांग्रेस नेताओं ने 2,000 करोड़ रुपये तक की संपत्ति हड़प ली। इस मामले की जांच 2014 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से शुरू की गई थी। कांग्रेस इस मामले को लेकर कहती रही है कि यंग इंडिया लिमिटेड का उद्देश्य प्रॉफिट कमाना नहीं है बल्कि इसका गठन चैरिटी के लिए किया गया है। अब तक कि पूछताछ में सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने जांच एजेंसी को इस संबंध में यही जवाब दिया है कि, कांग्रेस, नेशनल हेराल्ड और यंग इंडिया का पूरा वित्तीय लेनदेन मोतीलाल वोरा ही देखते थे, उन्हें (सोनिया-राहुल को) इस बारे में कुछ नहीं पता।  

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