बैंगलोर: कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने हाल ही में फैसला किया है कि वह अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) समुदायों के लिए निर्धारित फंड में से पैसा निकालेगी। कांग्रेस सरकार इसका इस्तेमाल विधानसभा चुनावों के दौरान किए गए पांच गारंटियों को पूरा करने के लिए करेगी। इस फैसले के बाद भाजपा और कांग्रेस की सहयोगी दलित संघर्ष समिति (DSS) ने कांग्रेस सरकार पर बड़े सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि, जब सरकार के पास गारंटियां पूरे करने के पैसे नहीं थे, तो उसने चुनाव जीतने के लिए ऐसे वादे ही क्यों किए, और अब SCST का हक मारकर गारंटियां पूरी की जा रहीं हैं और खुद की पीठ थपथपाई जा रही है। वहीं, भाजपा ने संकेत दिया है कि वह अदालत जा सकती है। भाजपा ने इसे सरकारी धन का 'दुरुपयोग' बताया तथा कांग्रेस पर अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के लिए निर्धारित धन में 'धोखाधड़ी' करने का आरोप लगाया। अपनी ओर से, DSS ने ऐलान किया है कि वह कांग्रेस के लिए अपना समर्थन समाप्त कर देगी तथा इस निर्णय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी। बता दें कि सीएम सिद्धारमैया ने शुक्रवार (5 जुलाई) को SC/ST विकास परिषद की बैठक ली थी। इस दौरान, कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक अनुसूचित जाति उप-योजना और जनजातीय-उप-योजना (SCSP-TSP) के तहत आवंटित धन का लगभग 37% अपनी गारंटी योजनाओं को पूरा करने के लिए निकाल लिया। बैठक के बाद कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने इस बारे में जानकारी दी और कांग्रेस सरकार को घेरा। आर अशोक ने कहा कि, "अगर बाबासाहेब अंबेडकर जीवित होते, तो उन्होंने शायद सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से कई सवाल पूछे होते।" भाजपा नेता ने आगे दावा किया कि कांग्रेस सरकार पहले ही महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम की 187 करोड़ रुपये की राशि हड़प कर चुकी है। बता दें कि, कांग्रेस सरकार इससे पहले भी SC/ST फंड में से 11000 करोड़ रुपए अपनी चुनावी गारंटियों के लिए निकाल चुकी है। कर्नाटक शेड्यूल कास्ट सब-प्लान और ट्रायबल सब-प्लान एक्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को अपने कुल बजट का 24.1% SC/ST के उत्थान के लिए खर्च करना पड़ता है, लेकिन उस पैसे में अब राज्य सरकार सेंधमारी कर रही है। गौर करने वाली बात ये भी है कि, एक तरफ कांग्रेस सरकार लगातार दलित-आदिवासी का फंड निकाल रही है, वहीं अल्पसंख्यकों के लिए उसकी बेहद लोकलुभावन योजना जारी है, जिसका ख़ज़ाने पर काफी बोझ पड़ रहा है। उस योजना के अनुसार, यदि कोई अल्पसंख्यक 8 लाख रुपये की कार खरीदता है, तो उसे मात्र 80,000 रुपये का शुरूआती भुगतान करना होगा। 3 लाख रुपए राज्य सरकार देगी, यही नहीं बाकी पैसों के लिए भी बैंक ऋण सरकार ही दिलाएगी। वहीं, इस साल बजट में कांग्रेस सरकार ने ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़, और वक्फ बोर्ड के लिए 100 करोड़ आवंटित किए थे, इसके बाद कमाई करने के लिए मंदिरों पर 10 फीसद टैक्स लगाने का बिल लेकर आई थी, लेकिन भाजपा के भारी विरोध के कारण वो बिल पास नहीं हो सका था। हालांकि, 2024-25 के लिए राज्य का कुल राजस्व घाटा बजट 3,71,383 करोड़ रुपये है, जिसमें पहली बार राज्य की उधारी 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इसी साल जब राज्य में सूखा पड़ा, तो भी राज्य सरकार के पास पैसा नहीं था, केंद्र द्वारा उसे 3500 करोड़ रुपए जनता को राहत देने के लिए प्रदान किए गए थे। अभी कुछ दिन पहले ही राज्य सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल पर एकसाथ 3 रुपए बढ़ा दिए थे, एक मंत्री ने कहा था कि, विकास और गारंटियों को पूरा करने के लिए धन चाहिए, इसलिए कीमतों में वृद्धि की गई है। इसके अलावा, कांग्रेस सरकार ने अपनी कमाई बढ़ाने के उपाय बताने के लिए एक अमेरिकी फर्म बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) को काम पर रखा है, जिस पर छह महीने में राज्य को 9.5 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इस अमेरिकी फर्म ने सुझाव देना भी शुरू कर दिए हैं, हो सकता है दूध में वृद्धि भी इसी का सुझाव हो। मौजूदा समय में कर्नाटक सरकार ने संपत्ति मार्गदर्शन मूल्यों में भी 15-30% का इजाफा किया, भारतीय निर्मित शराब (IML) पर 20% अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (AED) लगाया, बीयर पर AED को 175% से बढ़ाकर 185% किया और नए पंजीकृत परिवहन वाहनों पर 3% अतिरिक्त उपकर लागू किया। 25 लाख रुपये से अधिक की लागत वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पर आजीवन टैक्स का प्रावधान किया और गैर-पंजीकरण-आवश्यक दस्तावेजों के लिए स्टांप शुल्क 200% से बढ़ाकर 500% कर दिया गया। ये तमाम चीज़ें, संपत्ति कर, जल कर और बस किराए में भविष्य में वृद्धि का भी संकेत देती हैं। इसके अलावा कर्नाटक सरकार ने इंजीयरिंग कॉलेज की फीस में भी 10 फीसद का इजाफा कर दिया है, जो छात्रों के लिए बड़ा झटका है। हालाँकि, इसके बावजूद राज्य में आर्थिक संकट बना हुआ है और कुछ दिन पहले ही कांग्रेस सरकार ने केंद्र से 11 हज़ार करोड़ रुपए का स्पेशल पैकेज देने की मांग की है। दरअसल, विधानसभा चुनावों के दौरान ही अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी थी कि, पार्टी जिस तरह से वादे कर रही है, उससे हो सकता है कि वो चुनाव जीत जाए, लेकिन इससे राज्य सरकार के ख़ज़ाने पर भारी बोझ पड़ेगा और व्यवस्था चरमरा जाएगी, लेकिन कांग्रेस ने सलाह नहीं मानी और आज सचमुच राज्य आर्थिक संकट में घिर गया। 200 यूनिट बिजली फ्री के वादे से बिजली का अंधाधुंध दोहन हुआ और फिर नौबत कटौती की आ गई, जिस बेल्लारी को राहुल गांधी ने 5000 करोड़ देकर जीन्स कैपिटल बनाने का वादा किया था, वहां 5-6 घंटे बिजली गुल रहने से कारोबार ठप्प हो गया और कई लोग महाराष्ट्र, गोवा जैसे पड़ोसी राज्यों में चले गए। इस लोक सभा चुनाव में भी पार्टी ने महिलाओं को खटाखट 1 लाख, बेरोज़गारों को 1 लाख, हर बार किसानों के कर्जे माफ़ जैसे लोकलुभावन वादे किए थे, लेकिन सोचिए जब 2000 देने में ही राज्य का खज़ाना खाली हो गया है, तो 1 लाख रुपए कहाँ से दिए जाते ? एक अनुमान के तौर पर 140 करोड़ की देश की आबादी में यदि 25 करोड़ गरीब महिलाएं भी मानें, तो उन्हें साल के 25 लाख करोड़ रुपए जाते, जो देश के कुल बजट का आधा हिस्सा है। इसके बाद बेरोज़गार, किसान, शिक्षा, स्वास्थय, रक्षा, विकास, सड़क, पानी जैसे मुद्दों का क्या होता ? महंगा होगा रसोई का जायका, मौसम की मार से प्याज-टमाटर सहित कई सब्जियों के दाम बढ़े PM आवास की पहली किश्त मिलते ही महिला ने उठाया ऐसा कदम, खुलासा होने पर पुलिस भी रह गई दंग कश्मीर: स्थानीय लोगों की मदद से जिहादियों ने किया सेना पर हमला, 5 जवान बलिदान, 5 घायल, सर्च ऑपरेशन जारी