संसद में कांग्रेस लड़ेगी, सड़कों पर मुसलमान..! वक़्फ़ बचाने को 'चक्रव्यूह' तैयार, क्या करेगी सरकार?

नई दिल्ली: वक्फ संशोधन बिल पर बहस ने संसद से लेकर सड़कों तक गहमागहमी पैदा कर दी है। मुस्लिम समुदाय के बड़े हिस्से और विपक्षी दल इस बिल में किए जा रहे संशोधनों का कड़ा विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस (TMC), द्रमुक (DMK), लालू प्रसाद यादव की राजद (RJD) समेत कई विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।  संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में भी ये तमाम पार्टियां अपने मुस्लिम वोट बैंक को खुश रखने के लिए वक्फ बिल का पुरजोर विरोध करेंगी और हो सकता है कि हंगामे के चलते संसद के कई दिन बर्बाद भी हो जाएं। 

 

वहीं, मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने इस बिल के खिलाफ मुस्लिम समुदाय को भड़काने का काम किया है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने जयपुर में मुस्लिम समुदाय की एक बड़ी सभा आयोजित की, जिसमें वक्फ बिल को मुस्लिमों पर "सबसे बड़ा हमला" करार दिया। इस सभा में मौलाना तौकीर रजा जैसे विवादास्पद नेताओं ने मंच साझा किया और खुलेआम भड़काऊ बयान दिए। उन्होंने मुस्लिम समुदाय को संसद घेरने और अपनी मांगें मनवाने के लिए सड़कों पर उतरने का आह्वान किया। 

मौलाना तौकीर रजा ने धमकी भरे लहजे में कहा कि अगर सरकार ने उनकी बातें नहीं मानीं तो वे "ऐसी ताकत से आएंगे कि सरकार कांप जाएगी।" यह बयान हिंसा भड़काने की संभावनाओं को स्पष्ट करता है। 

विपक्षी दल, जो अक्सर मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर रहते हैं, ने इस मुद्दे पर संसद में विरोध करने का निर्णय लिया है। वे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में इस बिल को रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस नेता कमरुज्जमान चौधरी ने तो यहां तक कह दिया कि मंदिरों के सोने को बेचकर देश का कर्ज चुकाया जा सकता है, जिससे हिंदू समुदाय में आक्रोश बढ़ने की आशंका है। उल्लेखनीय है कि, कांग्रेस शासित कर्नाटक में हाल ही में वक्फ बोर्ड द्वारा किसानों को जमीन पर दावे के नोटिस भेजे गए थे, जिससे विवाद और झड़पें हुईं। इसके चलते सिद्धारमैया सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद में सरकार ने इन नोटिसों को वापस लेने का आदेश दिया। 

 

मोदी सरकार द्वारा लाए गए वक्फ बिल का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के अधिकारों को नियंत्रित करना और संपत्ति के दुरुपयोग को रोकना है। यह संशोधन वक्फ बोर्ड द्वारा किसी संपत्ति को बिना सत्यापन वक्फ घोषित करने की शक्ति को सीमित करता है। हालांकि, इस बिल को पारित कराने में मोदी सरकार को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सड़कों पर मुस्लिम समुदाय और मौलानाओं का उग्र प्रदर्शन, संसद में विपक्ष का हंगामा, और दंगे-हिंसा की आशंका, इन सभी ने इस मुद्दे को जटिल बना दिया है। ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार इस संवेदनशील मामले को कैसे संभालती है और देश के हित में वक्फ बोर्ड की संपत्ति संबंधी अनियमितताओं पर कैसे लगाम लगाती है।

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