नई दिल्ली: महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 48 सीटों पर होने वाले उपचुनाव कांग्रेस के लिए दोहरी चुनौती लेकर आए हैं। एक ओर, उसे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मुकाबले खड़ा होना है, तो दूसरी ओर, उसे INDI गठबंधन के भीतर भी अपनी स्थिति को मज़बूत बनाए रखना है। हाल ही में हरियाणा और जम्मू क्षेत्र में हुई हार के बाद, कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। ऐसे में, आगामी चुनाव कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण मौका हो सकते हैं, जिससे वह अपनी राजनीतिक स्थिति को सुधार सके। गठबंधन की राजनीति में अक्सर वैचारिक मतभेद और सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद सामने आते हैं। महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और एनसीपी (SP) के बीच मतभेद देखने को मिले। कांग्रेस, जो शुरुआत में 115-120 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी, को अंततः 90 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। इसके अलावा, 18 सीटों पर अन्य सहयोगी दलों ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है। झारखंड में भी कांग्रेस को उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिलीं। कांग्रेस 33 सीटों की मांग कर रही थी, लेकिन उसे केवल 29 सीटें दी गई हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 31 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसके अलावा, झारखंड में दो सीटों पर कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) दोनों के प्रत्याशी मैदान में हैं, जिससे कांग्रेस के लिए एक और चुनौती उत्पन्न हो रही है। उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (SP) ने कांग्रेस को मौका देने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश के बुधनी क्षेत्र में भी समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। महाराष्ट्र में भी समाजवादी पार्टी कई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की योजना बना रही है, जिससे कांग्रेस के सामने एक और नई चुनौती खड़ी हो गई है। कांग्रेस को INDI गठबंधन के भीतर अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। शिवसेना (UBT) और एनसीपी (SP) के साथ मतभेदों ने सीट बंटवारे को मुश्किल बना दिया है। गठबंधन में सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर सहयोगी दलों की ओर से कम सहयोग मिलने से कांग्रेस को अपनी योजनाओं में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आगामी विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये चुनाव बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की ताकत को मापने का एक अवसर हैं। इन चुनावों के नतीजे यह भी तय करेंगे कि INDI गठबंधन के भीतर कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति कैसी रहेगी। हरियाणा में हाल की हार के बाद कांग्रेस की स्थिति में गिरावट देखी गई है, और ऐसे में ये चुनाव कांग्रेस के लिए एक मौका बन सकते हैं ताकि वह अपनी स्थिति को स्थिर और मज़बूत कर सके। कुल मिलाकर, कांग्रेस के सामने आगामी चुनावों में दोहरी चुनौती है। उसे न केवल बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है, बल्कि गठबंधन के भीतर भी अपनी स्थिति को बनाए रखना है। गठबंधन के सहयोगियों के साथ बढ़ते वैचारिक मतभेद और सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में, कांग्रेस को अपनी रणनीति में कुशलता दिखानी होगी और राजनीतिक स्थिति को मज़बूत बनाए रखने के लिए धैर्य और दृढ़ता के साथ कदम उठाने होंगे। विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है आयुर्वेद, हज़ारों साल पुराना है इतिहास मेडिकल कॉलेज, आयुर्वेद संस्थान, सभी को आयुष्मान..! धन्वन्तरि जयंती पर पीएम मोदी के बड़े ऐलान 'सरदार पटेल के योगदान को सालों तक भुलाए रखा..', एकता दौड़ के दौरान बोले गृहमंत्री