लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपने 69वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित प्रेस वार्ता में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह एससी, एसटी और ओबीसी जैसे हाशिए पर पड़े समुदायों के आरक्षण और अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। मायावती ने कांग्रेस की ऐतिहासिक नीतियों और कार्यों की ओर इशारा करते हुए कहा कि पार्टी ने हमेशा दलितों और पिछड़े वर्गों को उनके अधिकारों से वंचित रखा। मायावती ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि कांग्रेस ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के सपनों को पूरा करने के बजाय उन्हें कुचलने का काम किया। उल्लेख्न्या है कि, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करने वाली कांग्रेस ही थी, इस अनुच्छेद के रहते, दलितों को कश्मीर में नागरिकता का अधिकार नहीं था। नतीजतन, वहां के दलितों को वोट देने का अधिकार भी नहीं मिला और वे केवल मैला उठाने जैसी अपमानजनक नौकरियों तक सीमित रह गए। आज जब कांग्रेस अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करने की बात करती है, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि वह दलितों के हितों की रक्षा करने के प्रति कितनी गंभीर है। इसके साथ ही कांग्रेस नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का भी विरोध करती है। यह CAA कानून उन दलित और पिछड़े हिंदुओं के लिए राहत लेकर आया था, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश में इस्लामी अत्याचारों का शिकार हुए। ऐसे में कांग्रेस का विरोध इस बात का संकेत है कि पार्टी का दलित प्रेम केवल दिखावा है। मायावती ने कांग्रेस पर दलितों को लुभाने के लिए "प्रतीकात्मक नाटक" करने का आरोप लगाया। उन्होंने कांग्रेस नेताओं द्वारा नीले वस्त्र पहनने और संविधान का प्रदर्शन करने जैसे कदमों को "दिखावटी" करार दिया। उनका कहना था कि यह केवल दलित समुदाय को धोखा देने का प्रयास है। अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मायावती ने कहा कि उनकी सरकार ने मजदूरों, व्यापारियों, बेरोजगारों और महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं। उन्होंने बीएसपी को हाशिए पर पड़े समुदायों की सच्ची प्रतिनिधि पार्टी बताया और कार्यकर्ताओं से पार्टी को मजबूत करने का आह्वान किया। यह सच है कि कांग्रेस के कुछ ऐतिहासिक निर्णय, जैसे अनुच्छेद 370 और CAA का विरोध, दलितों और पिछड़ों के हितों के खिलाफ खड़े नजर आते हैं। ऐसे में मायावती की आलोचना को खारिज करना आसान नहीं है। मायावती के बयान ने कांग्रेस के दलित प्रेम पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह विचार करना जरूरी है कि क्या कांग्रेस वास्तव में दलितों के अधिकारों और हितों के लिए प्रतिबद्ध है, या फिर यह केवल चुनावी वोट बैंक की राजनीति तक सीमित है। हकीकत यह है कि हाशिए पर पड़े समुदायों को वास्तविक सशक्तिकरण तभी मिलेगा, जब राजनीतिक पार्टियां उनके अधिकारों की रक्षा को प्राथमिकता देंगी, न कि केवल चुनावी फायदे के लिए प्रतीकात्मक राजनीति करेंगी। ईसाई-आदिवासी पर ऐसा क्या बोल गए संघ प्रमुख भागवत, जो भड़क उठी बिशप की संस्था अंधाधुंध आरोप लगाए, अपना मुनाफा छापा और 'हिंडनबर्ग' ने बंद कर दी दूकान..! भारत में मचा था बवाल कांग्रेस शासन में हुआ कोयला घोटाला फिर सुर्ख़ियों में आया, सुनवाई से अलग हुए जज..! क्या है मामला..?