बैंगलोर: सुप्रीम कोर्ट द्वारा कावेरी नदी जल विवाद पर कर्नाटक को राहत देने से इनकार करने के बाद, विपक्षी नेता एचडी कुमारस्वामी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर तमिलनाडु को पानी छोड़ कर अपने गठबंधन सहयोगी DMK को 'खुश' करने का आरोप लगाया है। JDS नेता कुमारस्वामी ने कावेरी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार (21 सितंबर) को कर्नाटक को अगले 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने के कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कुमारस्वामी ने अपने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर राज्य की कांग्रेस सरकार पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि, 'कावेरी आदेश इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है कि अगर सत्ता में बैठे लोगों को सिंचाई का न्यूनतम ज्ञान नहीं है तो क्या होगा ? राज्य (कांग्रेस) सरकार ने तमिलनाडु में अपने राजनीतिक गठबंधन के कारण लोगों के हितों का बलिदान दिया है।' उन्होंने राज्य सरकार पर 10 अगस्त को CWMA की पहली बैठक के बाद से हर कदम पर 'विफल' रहने का भी आरोप लगाया। कुमारस्वामी ने आगे कहा कि, 'राज्य सरकार ने CWMA बैठकों को बहुत हल्के में लिया। जब एचडी देवेगौड़ा ने राज्यसभा में कावेरी मुद्दा उठाया, तो मल्लिकार्जुन खड़गे को चुपचाप बैठे देखकर मैं हैरान रह गया। कावेरी मुद्दे पर उनका क्या रुख है?' इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने राज्य सरकार को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तमिलनाडु सरकार के साथ बातचीत करने का सुझाव दिया। भाजपा नेता येदियुरप्पा ने कहा कि, 'राज्य सरकार को तमिलनाडु में अपने कांग्रेस सहयोगी से बात करनी चाहिए और मुद्दे का समाधान करना चाहिए। मामले में केंद्र के हस्तक्षेप की मांग करना सही नहीं है। सरकार ने तमिलनाडु को पानी छोड़कर गलती की है। यह साबित हो गया है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले होमवर्क करने में विफल रही है।' येदियुरप्पा ने कहा कि, सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपील दायर करनी चाहिए और राज्य के जलाशयों का दौरा करने और जमीनी हकीकत को समझने के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के नेतृत्व में एक समिति की मांग करनी चाहिए। वहीं, भाजपा नेता और पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया और राज्य सरकार पर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने में देरी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार को सीडब्ल्यूएमए के आदेश का पालन करने के लिए कहा गया है। कावेरी बेसिन में बांधों में जल भंडारण स्तर के साथ-साथ तमिलनाडु में जल स्तर की गणना करना महत्वपूर्ण था। सीडब्ल्यूएमए द्वारा तमिलनाडु को पानी छोड़ने का पहला आदेश दिए जाने के बाद सरकार को अपील दायर करनी चाहिए थी।' बता दें कि, CWMA द्वारा राज्य को तीसरी बार अगले 15 दिनों के लिए 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिए जाने के बाद कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।