नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पार्टी नेतृत्व में परिवर्तन करने के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में से एक गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनकी मंशा सिर्फ पार्टी को सशक्त करने की थी. उन्होंने कहा कि नियुक्त किए गए कांग्रेस अध्यक्ष को पार्टी में एक फीसद भी समर्थन नहीं है. आज़ाद ने आगे कहा कि यदि चुना हुआ निकाय पार्टी का नेतृत्व करता है, तो पार्टी पहले से बेहतर होगी अन्यथा कांग्रेस अगले 50 वर्षों तक निरंतर विपक्ष में ही बैठी रहेगी. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जो अधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव की खिलाफत कर रहे हैं, उन्हें अपने पद को खोने का डर है. उल्लेखनीय है कि विगत सोमवार को हुई कांग्रेस कार्य समिति की मीटिंग में यह पत्र विवाद का बड़ा कारण बना था. आजाद ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मेरा इरादा केवल कांग्रेस को मजबूत करने का था. मैं बीते 34 वर्ष से कार्य समिति में हूं. उन्होंने कहा कि कोई भी कांग्रेसी जिसको कांग्रेस में जरा सी भी दिलचस्पी होती वो तो हमारे प्रस्तावों का स्वागत करता. किन्तु कुछ लोग हमारे प्रस्ताव का विरोध करते नज़र आए. हमने कहा था कि राज्य, जिला, ब्लॉक आदि के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए चुनाव होना चाहिए. कांग्रेस कार्य समिति में भी ऐसा ही किया जाना चाहिए. आजाद ने कहा कि जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 फीसद लोग आपके साथ होते हैं और आप पार्टी के अंदर सिर्फ 2 से 3 लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं. 51 फीसद वोट पाने वाले व्यक्ति को चुना जाएगा. अन्य को 10 या 15 फीसदी मत प्राप्त होंगे. जो शख्स जीतता है, उसे पार्टी अध्यक्ष का प्रभार सौंपा जाएगा. इसका अर्थ है कि 51 फीसद लोग उसके साथ हैं. सीएम अशोक गहलोत के दफ्तर में मिले कोरोना के मरीज, सभी कार्यक्रम रद्द करने के आदेश डोनाल्ड ट्रम्प का बड़ा बयान- अंतिम चरण में कोरोना की 3 वैक्सीन, जल्द शुरू होगा उत्पादन JEE-NEET एग्जाम विवाद पर बोले स्वामी- स्टूडेंट्स का हाल द्रौपदी जैसा, क्या CM बनेंगे कृष्ण ?