नई दिल्ली: 2024 के आम चुनावों में भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के इरादे से बनाया गया INDIA गठबंधन अभी तक पूरी तरह से गठबंधन के रूप में विकसित नहीं हुआ है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसे गठबंधन के सदस्यों ने NDA के खिलाफ लड़ाई में एक साथ होने का दावा करते हुए भी बार-बार एक-दूसरे पर हमला किया है। हाल ही में एक और नाटक में देखा गया, जो प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को बुलाए जाने के बाद देखने को मिला था। सीएम केजरीवाल के समर्थन में कांग्रेस :- दरअसल, मंगलवार (1 नवंबर) को कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि INDIA गठबंधन की हर पार्टी को केंद्रीय एजेंसियों द्वारा 'पके हुए' मामलों के साथ निशाना बनाया जाएगा। सिंघवी ने 31 अक्टूबर को एक्स पर हैशटैग अरविंद केजरीवाल के साथ पोस्ट किया कि, “#INDIAAlliance के भीतर हर महत्वपूर्ण ताकत को केंद्रीय एजेंसियों द्वारा मनगढ़ंत मामलों का सामना करना पड़ेगा। हालाँकि, हम यहाँ रहने और विजयी होने के लिए हैं। याद रखो...समर शेष है।'' सिंघवी की यह टिप्पणी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दिल्ली शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए बुलाए जाने के एक दिन बाद आई है। ED ने केजरीवाल को 2 नवंबर को पेश होने के लिए कहा था, जिसके बड़ा AAP और अन्य विपक्षी दलों ने विपक्षी राजनेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोपों को दोहराया था। हालाँकि, सीएम केजरीवाल ने ED के सामने पेश नहीं होने का फैसला किया और इसके बजाय पहली बार इस चुनाव में मध्य प्रदेश में एक चुनावी रैली करने पहुँच गए। उन्होंने समन को 'अवैध' बताया और ED से इसे फ़ौरन वापस लेने को कहा। सीएम केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस :- सीएम केजरीवाल द्वारा पूछताछ के लिए ED के सामने पेश होने से इनकार करने के बाद INDIA गठबंधन सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने उन पर निशाना साधा। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव अभिषेक दत्त ने ED के सामने पेश नहीं होने पर अरविंद केजरीवाल पर कटाक्ष किया और उन्होंने दिल्ली सीएम को भाजपा का सामना करने का साहस दिखाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता एजेंसियों द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर उपस्थित हुए थे और केजरीवाल को भी ऐसा करना चाहिए। वहीं, दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता संदीप दीक्षित ने कहा है कि, ''ये सच्चाई है कि अरविंद केजरीवाल डरे हुए हैं और जांच से भाग रहे हैं।'' संदीप दीक्षित ने आगे कहा कि, ''सभी जानते हैं कि दिल्ली में मुख्यमंत्री पद पर आसीन केजरीवाल के आदेश के बिना कुछ नहीं हो सकता। उन्हें भागते हुए देखा जा सकता है। स्पष्ट है कि वह डर गए हैं और भाग रहे हैं। सीएम केजरीवाल के पास अपने आप को बचाने के तमाम संसाधन खत्म हो गए हैं। हमारा गठबंधन AAP के साथ इसलिए है, क्योंकि हम नहीं चाहते कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें।'' दीक्षित ने कहा कि, अन्ना आंदोलन के समय केजरीवाल खुद ही कहते थे कि, यदि किसी मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं, तो उसके खिलाफ पूरी जांच होनी चाहिए, लेकिन आज खुद वही केजरीवाल जांच से भाग रहे हैं। गौर करें कि, एक तरफ संदीप दीक्षित, अजय माकन जैसे कांग्रेस के बड़े नेता, सीएम केजरीवाल पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं, वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी, सत्येंद्र जैन, केजरीवाल से लेकर मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे AAP नेताओं को कोर्ट में बेकसूर साबित करने के लिए जोर लगा रहे हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि, AAP को लेकर कांग्रेस एकमत नहीं है, कुछ की नज़रों में तो केजरीवाल साफ़ भ्रष्टाचारी हैं, लेकिन क्या केवल INDIA गठबंधन की वजह से कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व यानी गांधी परिवार AAP को साथ लेकर चल रहा है ? लोकसभा चुनावों से पहले ये सवाल सियासी गलियारों में घूमने लगा है। क्या बोले केजरीवाल:- वहीं, सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है कि समन "प्रेरित और अनावश्यक विचारों के लिए जारी किया गया था"। जैसा कि पहले बताया गया था, ED ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पूछताछ करने की योजना से ठीक पहले गुरुवार सुबह दिल्ली के मंत्री राज कुमार आनंद के घर पर छापेमारी की थी। जांच एजेंसी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के लिए आनंद से जुड़े नौ स्थानों पर भी छापेमारी कर रही है। इस बीच, अरविंद केजरीवाल ने ED के समन का जवाब देते हुए एक पत्र में दावा किया है कि वह राज्य में आने वाले चुनावों के लिए एक स्टार प्रचारक हैं और इसलिए, उनकी अन्य प्रतिबद्धताएं हैं जो उन्हें समन में शामिल होने की अनुमति नहीं देंगी। दिल्ली शराब घोटाला:- बता दें कि, 2021-22 के लिए शराब नीति को दिल्ली प्रशासन द्वारा 17 नवंबर 2021 को लागू किया गया था, हालांकि, भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण इसे सितंबर 2022 के अंत में रद्द कर दिया गया था। एजेंसियों के अनुसार, नए विनियमन से एकाधिकार को बढ़ावा मिला और उन लोगों को आर्थिक लाभ मिला जो शराब लाइसेंस के लिए पात्र नहीं थे। दूसरी ओर, मनीष सिसोदिया और दिल्ली प्रशासन ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और दावा किया है कि नई नीति से राज्य के उत्पाद शुल्क में वृद्धि होगी। अपनी धार्मिक मान्यताओं को दूसरों पर सख्त थोपने के खिलाफ हैं जस्टिस चंद्रचूड़..! धर्मांतरण करने करने वालों के लिए 'नसीहत' है CJI का ये बयान पानी को तरसते राजस्थान में 1000 करोड़ का 'जल जीवन' घोटाला ! 25 ठिकानों पर ED की रेड, कांग्रेसी मंत्री भी घिरे 'जैसे भारत ने श्रीलंका को हराया, वैसे ही हमारा PDA भाजपा को हराएगा..', अखिलेश यादव पर भी चढ़ा 'वर्ल्ड कप' का खुमार, किया बड़ा दावा