भोपाल: मध्य प्रदेश की झाबुआ सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया की जीत को कमल नाथ सरकार के 10 महीने के प्रदर्शन को मिले जनसमर्थन के तौर पर देखा जा रहा है. इसके साथ ही यह उन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं के लिए एक बड़ी चोट भी जो निरंतर कमलनाथ सरकार गिरने की भविष्यवाणी कर रहे थे. दरअसल, कांग्रेस की जीत से बड़ी यह भाजपा की शिकस्त के रूप में देखी जा रही है. अब पार्टी के भीतर प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. भाजपा MLA केदार नाथ शुक्ला ने सिंह के नेतृत्व पर सवाल उठा दिए हैं. स्पष्ट बहुमत के लिए एक-एक सीट के लिए तरसती कांग्रेस को इस एक सीट से काफी राहत मिली है. कांतिलाल भूरिया की जीत से कमलनाथ सरकार के चेहरे पर मुस्कान बढ़ेगी. वहीं कमलनाथ सरकार को गिराने के सभी कोशिशें करती रही भाजपा के लिए ये शिकस्त कुछ दिन तक चुपचाप बैठने का जनादेश जैसा है. आपको बता दें कि नवंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में झाबुआ सीट से कांतिलाल भूरिया के बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया को चुनाव में हार मिली थी. उन्हें भाजपा के गुमान सिंह डामोर ने मात दी थी. तब कांग्रेस से बगावत करके जेवियर मेड़ा भी चुनावी संग्राम में थे, जो विक्रांत की हार का सबब बने. उन्हें 30 हजार से अधिक वोट मिले थे. गठबंधन के लिए दुष्‍यंत चौटाला ने रखी ये शर्त, बढ़ सकती हैं कांग्रेस-भाजपा की मुश्किलें हरियाणा चुनाव: शोषण और आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़ा है गोपाल कांडा का नाम, अब बने हैं MLA तुषार गाँधी का बड़ा बयान, कहा- गांधी की हत्या के मामले में सावरकर को कोर्ट ने कभी निर्दोष नहीं कहा