कल बुधवार को एमपी में दो विरोधाभासी स्थितियां देखने को मिली .एक ओर कल पेश किये गए बजट में आगामी चुनाव के मद्देनज़र किसानों के लिए सरकार ने खज़ाना खोल दिया, वहीं दूसरी ओर राज्य में कोलारस और मुंगावली में हुए दो उप चुनावों में कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा को शिकस्त देकर दोनों सीटें जीत ली. गौर करने वाली बात यह है कि कोलारस में भाजपा के वोट बैंक में 13 फीसदी का इजाफा हुआ इसके बाद भी हार का मुंह देखना पड़ा. बता दें कि इन दोनों उपचुनाव में शिवराज सरकार ने जीत के लिए खूब ज़ोर लगाया फिर भी असफलता हाथ लगी.मुख्यमंत्री ने 50 से ज्यादा और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने 500 से अधिक सभाएं की थी, इसके बावजूद हार मिलना पार्टी को सोचने को विवश कर रहा है . ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या शिवराज का जादू अब उतर रहा है ? क्या यह जनता द्वारा नकारात्मक मतदान की शुरुआत है ? एक ओर वोट बैंक का बढ़ना और दूसरी ओर हार मिलना बीजेपी के लिए गंभीर सोच का विषय बन गया है . इस हार की जब भी पार्टी स्तर पर समीक्षा होगी, तो भाजपा को इसके कारण खोजने ही होंगे , क्योंकि नवंबर -दिसंबर में चौथी पारी खेलने के लिए यह उसके लिए खतरे की आहट है .जिसे अनुसना नहीं किया जा सकता. इस उप चुनाव में दूसरी विरोधाभासी स्थिति चुनाव प्रचार में भी देखने को मिली. एक ओर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 25 दिन में 50 सभाएं की,मंत्री यशोधरा राजे ने 16 दिन में 20 से अधिक सभाएं की,प्रभात झा ने भी खूब मेहनत की . इसके विपरीत कांग्रेस की ओर से अकेले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोर्चा संभाला .इन दोनों उप चुनाव में पार्टी की ओर से बड़े नेताओं की भागीदारी कम नज़र आई. इन दोनों सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाकर सिंधिया ने हाई कमान के सामने एमपी में चेहरा पेश करने की दशा में अपनी दावेदारी प्रबल कर ली है. वैसे देखा जाए तो इस उप चुनाव में कांग्रेस ने कुछ अलग से नहीं पाया है . यह दोनों सीटें पहले भी कांग्रेस के ही पास थी.लेकिन इस जीत ने आगामी विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल जरूर बढ़ाया है.यदि कांग्रेस गुटबाजी से मुक्त हो जाए, तो फिर सत्ता में वापसी कर सकती है ,लेकिन कांग्रेस का इतिहास रहा है, कि मेहनत कोई और करता है और मलाई कोई और खा जाता है .इसलिए गुटबाजी के साथ टांग खिंचाई जारी है , क्योंकि कांग्रेस संस्कृति में नेपथ्य में संभावनाएं ज़्यादा है. यह भी देखें कोलारस और मुंगावली चुनाव: भाजपा को एक बार फिर पछाड़ते हुए कांग्रेस आगे 15 साल बाद बिजेपुर में बीजेडी ने जीत का स्वाद चखा