भारत-बांग्लादेश को काटकर ईसाई देश बनाने की साजिश..! मिजोरम के मुख्यमंत्री की क्या कोशिश?

आइज़ोल: मिजोरम के मुख्यमंत्री पू लालदुहोमा का हालिया बयान विवादों में घिर गया है। यह बयान उन्होंने 4 सितंबर, 2024 को अमेरिका में दिया, जहाँ उन्होंने भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के ज़ो समुदाय के एकीकरण की बात कही। उनका कहना था कि यह समुदाय, जो वर्तमान में भारत, म्यांमार और बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में फैला हुआ है, एक साथ एकीकृत होना चाहिए। लालदुहोमा ने ज़ो समुदाय के ईसाई सदस्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें तीन अलग-अलग देशो और सरकारों (भारत,बांग्लादेश और मयांमार) के अधीन रहना पड़ रहा है, जो उन्हें स्वीकार्य नहीं है। यह बयान उस समय दिया गया जब लालदुहोमा ज़ो समुदाय की एक बैठक में उपस्थित थे, जहाँ चर्च के एकीकरण और एक देश के निर्माण पर चर्चा हुई।

लालदुहोमा ने इस बैठक में कहा कि उनका अमेरिका दौरे का उद्देश्य समुदाय की एकता के लिए एक रास्ता खोजना है। उन्होंने ज़ो समुदाय के बीच गहरी सांस्कृतिक और धार्मिक समानताओं का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया कि समुदाय के सदस्य एक-दूसरे से अलग नहीं रह सकते। लालदुहोमा ने जोर दिया कि समुदाय के लोगों को इतिहास में गलत तरीके से बांटा गया है और उन्हें तीन अलग-अलग देशों की सरकारों के अधीन रहने को मजबूर किया गया है, जो उचित नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ईश्वर की कृपा से एक दिन वे एक देश में एकजुट होंगे और अपने सपनों को साकार करेंगे।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सीमाएं लोगों को अलग कर सकती हैं, लेकिन उनका समुदाय एकजुट रहने की इच्छा रखता है। इस बयान ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, क्योंकि लालदुहोमा भारतीय गणराज्य के संवैधानिक पद पर रहते हुए ऐसी बातें कर रहे हैं, जो देश की एकता और अखंडता पर सवाल खड़े करती हैं। भारत के संविधान के तहत पद की शपथ लेने वाले व्यक्ति द्वारा ऐसा बयान देना स्वाभाविक रूप से चिंताजनक माना गया है।

लालदुहोमा के बयान का संदर्भ क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी मई 2024 में इसी तरह की चिंता व्यक्त की थी। शेख हसीना ने कहा था कि पश्चिमी देशों, विशेष रूप से गोरी चमड़ी वाले देश, बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में एक ईसाई राष्ट्र बनाने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने भारत का नाम नहीं लिया था, लेकिन यह संकेत दिया था कि भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का भी इस साजिश में हिस्सा हो सकता है। शेख हसीना ने यह दावा भी किया था कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश उनकी सरकार के खिलाफ काम कर रहे थे और बंगाल की खाड़ी में एक सैन्य बेस स्थापित करना चाहते थे। हसीना का यह भी कहना था कि इस नए राष्ट्र में बांग्लादेश का चटगांव डिवीजन शामिल होगा। 

हालांकि, कुछ समय बाद बांग्लादेश में एक राजनीतिक उथल-पुथल हुई, और शेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी। उनका यह दावा कि ज़ो समुदाय के एकीकरण के प्रयास और एक नया ईसाई राष्ट्र बनाने की साजिश हो रही है, एक बार फिर चर्चा में है, खासकर लालदुहोमा के बयान के बाद।

मिजोरम की राजनीति में भी इस मुद्दे की गूंज सुनाई देती है। सत्तारूढ़ ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM), विपक्षी मिजो नेशनल फ्रंट (MNF), और कांग्रेस की राज्य इकाई तीनों ही ज़ो समुदाय के एकीकरण की मांग का समर्थन करती रही हैं। इस विचारधारा के समर्थकों का कहना है कि ज़ो समुदाय का सांस्कृतिक और धार्मिक जुड़ाव ही उनके एकीकरण की मूल प्रेरणा है। चर्चों, खासकर अमेरिका स्थित बैपटिस्ट चर्च, ने भी इस मुद्दे को बढ़ावा दिया है। कई रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि इन चर्चों के संबंध अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए से हैं, जो उत्तर-पूर्व भारत में एक ईसाई राष्ट्र बनाने के विचार को समर्थन दे रही है।

मणिपुर में हाल ही में हुई हिंसा में भी ज़ो समुदाय से जुड़े कुकी लड़ाकों की भूमिका पर चर्चा हुई है। मणिपुर के कुछ कुकी समूह म्यांमार से संबंध रखते हैं और वहां भी बड़ा इलाका नियंत्रित करते हैं। मणिपुर की हिंसा में म्यांमार से आने वाले घुसपैठियों की भूमिका भी सामने आई है। यह कुकी लड़ाके उसी ज़ो समुदाय का हिस्सा हैं, जिसका एक वर्ग एक अलग ईसाई राष्ट्र की मांग कर रहा है।

मिजोरम राज्य में ईसाइयत का प्रभाव बीसवीं शताब्दी की शुरुआत से बढ़ा है, जब मिशनरियों ने बड़े पैमाने पर धर्म प्रचार किया। वर्तमान में मिजोरम की लगभग 90% जनसंख्या ईसाई है। इसके अलावा, नागालैंड और मेघालय भी ईसाई बहुल राज्य हैं। हालांकि, मिजो लोग म्यांमार और बांग्लादेश तक फैले हुए हैं, इसलिए इनके एकीकरण की मांग समय-समय पर उठती रहती है। लालदुहोमा का बयान भी इसी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को संदर्भित करता है।

लालदुहोमा का यह बयान, जिसमें एक अलग देश बनाने की इच्छा व्यक्त की गई है, न केवल भारत की राष्ट्रीय अखंडता के लिए एक चुनौती बन सकता है, बल्कि इस क्षेत्र की भौगोलिक और राजनीतिक स्थिरता पर भी असर डाल सकता है। इस मुद्दे पर अभी और चर्चा और बहस की संभावना है, खासकर क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर।

'मैं एक मजबूत योद्धा, आपके लिए सड़कों पर लड़ूंगी..', वायनाड में गरजीं प्रियंका गांधी

यूपी में रोबोट करेगा सड़कों की सफाई, जानिए क्या है सरकार का प्लान

यूपी में निवेश बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने उठाया बड़ा कदम, लिया ये फैसला

Related News