बुरहानपुर: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में सेना के जवानों को ले जा रही एक स्पेशल ट्रेन को धमाका करके पलटाने की कोशिश की गई। यह घटना 18 सितंबर 2024 को हुई, जब नेपानगर में रेलवे ट्रैक पर डेटोनेटर बिछाए गए थे। कुछ डेटोनेटर के फटने से पहले ही रेलवे अधिकारी सतर्क हो गए और सागफाटा स्टेशन पर ट्रेन को रोक दिया। यह ट्रेन जम्मू-कश्मीर से कर्नाटक जा रही थी। सूत्रों के अनुसार, सागफाटा से डोंगरगांव के बीच 10 डेटोनेटर रखे गए थे, जिन्हें एक से डेढ़ फीट की दूरी पर रखा गया था ताकि लगातार धमाके किए जा सकें। जब ट्रेन डिटोनेटर के पास से गुजरी, लोको पायलट ने विस्फोट की आवाज सुनी और तुरंत ट्रेन रोक दी। नेपानगर के स्पेशन मास्टर को सूचना दी गई, जिसके बाद सागफाटा स्टेशन को ट्रैक पर डेटोनेटर होने की जानकारी दी गई। भुसावल पहुँचने पर भी घटना की शिकायत की गई, जिसके बाद रेलवे और प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जो डेटोनेटर मिले थे, वे साल 2014 के थे और अब एक्सपायर हो चुके थे। ये डेटोनेटर सामान्यतः पटरी पर आवाज करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, और रेलवे द्वारा रखे नहीं गए थे। ऐसा प्रतीत होता है कि अज्ञात लोगों ने एक्सपायर डेटोनेटर को ट्रैक पर रख दिया था। रेल मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है, और आर्मी, एनआईए, एटीएस, और अन्य सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुट गई हैं। आर्मी के अधिकारियों ने रेलवे के कर्मचारियों से पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में लेने की मांग की है। हाल ही में 4 से 5 संदिग्धों से पूछताछ की गई है, और कुछ गिरफ्तारियों की भी चर्चा है, लेकिन आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। इस बीच, उत्तर प्रदेश के कानपुर में प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के पास एक खाली गैस सिलेंडर मिला, जिससे एक मालगाड़ी को रोकना पड़ा। यह घटना रविवार (22 सितंबर) को हुई। इसके पहले 8 सितंबर को प्रयागराज से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस को पटरी से उतारने की कोशिश की गई थी, जिसमें ट्रेन के टकराने पर तेज धमाका हुआ था। हाल के 2 महीनों में देश भर में ट्रेन पलटने की 23 साजिशों का पता चला है। रेलवे अधिनियम 1989 के तहत ऐसे मामलों में आरोपित को 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। सरकार अब इस अधिनियम में उपधारा जोड़ने और इसे देशद्रोह की श्रेणी में लाने की योजना बना रही है, जिसके लिए मृत्युदंड की मांग की जा रही है। ट्रेन दुर्घटना: हादसा या साजिश? हालांकि, यह ट्रेन दुर्घटना करवाने की साजिश वाली पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ समय में कई बार ट्रेनों को पटरी से उतारने की कोशिशें की गई हैं। इसी तरह की एक घटना 17 अगस्त 2024 को कानपुर में हुई थी, जिसमें साबरमती एक्सप्रेस के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इसके अलावा, राजस्थान और अलीगढ़ में भी रेलवे ट्रैक पर खतरनाक वस्तुएं रखी गई थीं। अलीगढ़ में भी पटरी पर मोटरसाइकिल के स्क्रेप रखे गए थे, इस मामले में अफ़सान नामक आरोपी गिरफ्तार किया गया था। वहीं, केरल में रेलवे की सिग्नल केबल चुराने में भी मुनव्वर और अब्बास को गिरफ्तार किया गया था, जिससे कई ट्रेनें प्रभावित हुईं थीं। बंगाल में भी किसी ने रेलवे सिग्नल में अख़बार फंसा दिया था। ये सिग्नल बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, जिससे लोको पायलट को पता चलता है कि ट्रैक खाली है या नहीं ? वरना ट्रेनों की आमने-सामने की भिड़ंत हो सकती है। इन तमाम घटनाओं का संबंध कहीं न कहीं पाकिस्तान स्थित आतंकी फरहतुल्लाह गोरी से भी जुड़ रहा है, जो भारत में स्लीपर सेल्स के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमले की साजिश रच रहा है। गोरी ने भारतीय एजेंसियों को चकमा देकर अपने गुर्गों यानी कट्टरपंथियों से प्रेशर कुकर बम जैसी चीजों से धमाके करने और ट्रेन पलटाने के लिए कहा है, ताकि सरकार को उखाड़ा जा सके। इसके पीछे का मकसद देश में अव्यवस्था फैलाकर जनता को भड़काना है। यहां बड़ा सवाल उठता है कि क्या ये साजिशें किसी बड़े सरकार विरोधी अभियान का हिस्सा हैं, ताकि किसी भी तरह देश की स्थिति को अस्थिर किया जा सके? कई विपक्षी नेता भी पहले से देश में बांग्लादेश जैसी स्थिति बनने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन इन साजिशों पर उनकी चुप्पी गंभीर सवाल खड़े करती है। ट्रेन बेपटरी होने पर राजनीति गरम हो जाती है, लेकिन जांच की मांग के बजाय, कुछ नेता इसे अपने सियासी एजेंडे का हिस्सा बना लेते हैं। यह समय राजनीति से ऊपर उठकर देखने का है। यह खतरा सिर्फ सरकार या सत्ता के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है, और इसमें विपक्ष के नेता भी इस साजिश के शिकार हो सकते हैं। कट्टरपंथियों और देश विरोधी तत्वों द्वारा रची जा रही इन साजिशों के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होना चाहिए, ताकि इस खतरे का सामना पूरी दृढ़ता से किया जा सके। महालक्ष्मी के 30 टुकड़े कर फ्रिज में भरा, सामने आया मोहम्मद अशरफ का नाम चंद्रयान-3: फिर जागा प्रज्ञान रोवर..! चाँद से भारत को भेजी अहम जानकारी 'बुरे समय में ही याद आते हैं दलित..', मायावती ने कांग्रेस को लताड़ा