चेन्नई: लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE/ लिट्टे) नामक आतंकी संगठन को फंडिग देने के मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने 6 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर दिया है। 29 मार्च 2022 को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में NIA ने इस संबंध में जानकारी दी है। चेन्नई में CID की क्यू शाखा द्वारा दर्ज FIR क्रमांक 1/2021 की जाँच NIA ने 18 जनवरी 2022 को अपने हाथों में ली थी। ये पूरा मामला आतंकी संगठन LTTE को को धोखाधड़ी के माध्यम से दोबारा से सक्रीय करने से संबंधित है। बताया गया है कि इस काम को करने के लिए फर्जी कागज़ातों का सहारा लेकर अकाउंट में पैसे जमा किए गए, ताकि गैरकानूनी और आतंकी वारदातों को अंजाम दिया जा सके। कुछ रिपोर्ट के अनुसार, भले ही श्रीलंका आधारित इस संगठन को पुनर्जीवित करने की कोशिशें हुईं हैं, मगर ये काम उस उद्देश्य से नहीं था जिसके कारण इस अलगाववादी संगठन ने जन्म लिया था। इस बार इनका प्रयास ये था कि ये तमिलनाडु को अशांत करने के लिए भारत में ‘तमिल राष्ट्रवाद’ की आग को भड़काएँ। बता दें कि लिट्टे संगठन से संबंधित मामलों की जाँच ने तेजी पकड़ ली है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने भी इसे लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। NIA की प्रेस रिलीज में इन छह आतंकियों के नाम लेचुमानन मैरी फ्रांसिस्का, केनिस्टन फर्नांडो, बस्करन, जॉनसन सैमुवेल, जी धर्मेंद्रन और ई मोहन बताए गए हैं। जांच एजेंसी के मुताबिक, जाँच के दौरान, यह भी पता चला है कि लेचुमानन मैरी फ्रांसिस्का, टी केनिस्टन फर्नांडो और के भास्करन ने LTTE को पुनर्जीवित करने और उसे संगठित करने के लिए विदेशी संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य किया है। उन्होंने अवैध ढंग से प्राप्त भारतीय पहचान वाले डाक्यूमेंट्स की मदद से अपने इस कार्य को अंजाम दिया है। कब सामने आया मामला ? दरअसल, यह मामला उस वक़्त सामने आया था, जब श्रीलंकाई नागरिक लेचुमानन मैरी (50) को चेन्नई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया। ये महिला टूरिस्ट वीजा पर 1 साल से भारत में रह रही थी। इसके बाद ये कोरोना महामारी के कारण रुकी। इसने अन्ना नगर शक्ति कॉलोनी में एक प्रॉपर्टी खरीदी। एक रेंट एग्रीमेंट बनवाया और अपने नाम से LPG कनेक्शन हासिल करने के लिए अपनी पहचान छुपाए रखी। धीरे-धीरे इसने भारतीय पासपोर्ट और वोटर ID भी बनवा लिया। लेकिन एयरपोर्ट पर यह महिला पकड़ी गई, जब पुलिस ने इसके पास फर्जी डाक्यूमेंट्स को देखा। मामला हाल में NIA को सौंपा गया, जिसने इस मामले में बड़ी साजिश सहित कई संभावनाओं के साथ केस की छानबीन की। कथिततौर पर आरोपितों ने इंडियन ओवरसीज बैंक की मुंबई फोर्ट ब्रांच से रकम निकाली थी। ये पैसा लिट्टे की गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और उसे दोबारा से संगठित करने के लिए खर्च किया जाना था। इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी ने बताया कि श्रीलंका द्वारा दबाए जाने के बाद से ये संगठन चुप था। लेकिन पिछले कुछ समय में संकेत मिले कि ये लोग वापसी करने की कोशिश में हैं। बता दें कि ltte श्रीलंका का वही आतंकी संगठन है, जिस पर पूर्व पीएम राजीव गाँधी और श्रीलंका के राष्ट्रपति प्रेमादासा के क़त्ल का इल्जाम है। इन बैंकों में है आपके अकाउंट तो हो जाए सावधान, अप्रैल से बदल जाएंगे बड़े नियम 'CM सर, मेरी शिकायत सुनिए..', महिला ने सीएम योगी को बताई शिकायत, महज 24 घंटे में हो गया समाधान दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने पहुंचा सबसे बुजुर्ग छात्र, 71 वर्षीय 'दादाजी' ने लिया एडमिशन