रामनगर को रहमतनगर बनाने की साजिश..! पुलिस ने भू-माफिया ताहिर को दबोचा, दर्ज हुई FIR

देहरादून:  उत्तराखंड के रामनगर में कोसी नदी के किनारे सरकारी वन भूमि पर अवैध कब्जों के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सख्त कार्रवाई शुरू हो गई है। अवैध गतिविधियों और भू-माफियाओं के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। 

रामनगर के कोसी नदी क्षेत्र में मोहम्मद ताहिर उर्फ मुल्ले और उस्मान गिरोह पर आरोप है कि उन्होंने स्टांप पेपर के जरिए सरकारी वन भूमि को निजी जमीन बताकर करोड़ों में बेचा। यह भी आरोप है कि इन गिरोहों ने मस्जिद, मदरसे और मकबरे बनाकर अतिक्रमण किया और बाद में इन अतिक्रमित जमीनों को बेच दिया। सोशल मीडिया पर खबर वायरल हो रही थी कि रामनगर क्षेत्र में बाहरी मुस्लिम समुदाय के लोग अवैध कब्जे कर रहे हैं और इलाके को धीरे धीरे रहमतनगर नाम दिया जा रहा है। इन आरोपों में कहा गया कि सस्ते स्टांप पेपर पर सरकारी भूमि का सौदा कर उसे खुर्दबुर्द किया गया। इस साजिश में राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण के भी प्रमाण मिले हैं।  

शिकायतों के आधार पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तराई पश्चिमी वन प्रभाग और रामनगर वन प्रभाग में अवैध कब्जों की जांच के लिए SIT गठित करने का आदेश दिया। जिला मजिस्ट्रेट नैनीताल की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने इन मामलों को गंभीर मानते हुए आर्थिक और अन्य अपराधों की गहन जांच कराने के निर्देश दिए।  

वन विभाग के निर्देश पर रामनगर पुलिस ने मोहम्मद ताहिर, अजमल, फईम अहमद, उस्मान गिरोह के आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज किया है। वन विभाग ने पुलिस को पर्याप्त सबूत सौंपे हैं, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि आरोपियों ने सरकारी भूमि को निजी संपत्ति बताकर बेचा। प्रशासन गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की तैयारी में भी है।  

वन विभाग ने आरोप लगाया कि बिजली विभाग ने बिना सत्यापन के अवैध कब्जेदारों को बिजली कनेक्शन जारी किए। इस मामले में भी एफआईआर दर्ज करने के लिए तहरीर दी गई है। वन विभाग की सख्ती के बाद बिजली विभाग ने कुछ कनेक्शन काट दिए, लेकिन विरोध प्रदर्शन के चलते बाद में इन्हें फिर से जोड़ना पड़ा।  

वेस्टर्न सर्कल के चीफ कंजर्वेटर डॉ. विनय भार्गव और डीएफओ प्रकाश आर्य ने बयान दिया है कि सरकारी वन भूमि को हर हाल में खाली कराया जाएगा। अतिक्रमण करने वालों को नोटिस जारी कर दिया गया है और उन्हें चेतावनी दी गई है कि वे स्वेच्छा से भूमि छोड़ दें। इस कार्रवाई से साफ संदेश है कि उत्तराखंड सरकार अवैध कब्जों और भू-माफियाओं के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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