नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कनूनी मान्यता प्रदान करने से संबंधित याचिकाओं को 5 जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है. मामले की सुनवाई 18 अप्रैल हो होगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले को अगली सुनवाई में संविधान पीठ के समक्ष भेज रहे हैं. अदालत ने कहा कि यह मामला जीवन के अधिकार और सम्मान से जीने के अधिकार से संबंधित है. चूंकि यह मामला संवैधानिक सवालों से जुड़ा हुआ है, इसलिए हम यह मानते हैं कि संविधान पीठ इस मुद्दे पर विचार करे. बता दें कि, इससे पहले सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, प्यार का अधिकार और प्यार व्यक्त करने का अधिकार पहले से ही बरकरार है और कोई भी उस अधिकार में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है मगर कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि इसमें विवाह करने का अधिकार भी शामिल है और कोर्ट ऐसा करने में सावधानी बरते. याचिकाकर्ता की तरफ से कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा एक सामान्य दार्शनिक प्रस्ताव है. हम मानते हैं कि प्यार का अधिकार हमें इंसान बनाता है, ऑस्कर वाइल्ड इस संबंध में बोलते हैं और नवतेज जौहर का फैसला है. विवाह करने के अधिकार को सिर्फ उनके यौन अभिविन्यास के आधार पर किसी वर्ग के शख्स से नहीं रोका जा सकता है. इलाहाबाद हाई कोर्ट से हटाई जाए मस्जिद, 3 महीने की मोहलत- सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश 'शराब घोटाले के तीन दलाल, सत्येंद्र, सिसोदिया, केजरीवाल..', राजघाट पर भाजपा का मौन प्रदर्शन नितीश कुमार को एक और झटका, JDU की दिग्गज नेता मीना सिंह ने थामा भाजपा का दामन