देहरादून: हाल ही में मुनिकीरेती में गंगा नदी पर खुलेआम अवैध खनन का कार्य चल रहा है. यह कार्य कोई और नहीं बल्कि यहां घाट बनाने वाली ठेका कंपनी की ओर से किया जा रहा है. सिंचाई विभाग के आला अधिकारियों के सामने ही अवैध खनन का यह खेल चल रहा है. कार्रवाई करने की बजाय विभाग यहां मूकदर्शक बना हुआ है. बता दें कि वर्ष 2013 की आपदा में मुनिकीरेती के अधिकांश गंगा घाट काफी क्षतिग्रस्त हो चुके थे. महाकुंभ मेला 2021 के मद्देनजर 1280.10 लाख के बजट से स्वामी नारायण घाट से गंगा रिसॉर्ट के घाट तक पुनरुद्घार कार्य किया जा रहा है. वहीं सूत्रों का कहना है कि इसमें आस्था पथ का निर्माण, क्षतिग्रस्त आस्था पथ का सुदृढ़ीकरण और योग महोत्सव घाट का निर्माण कार्य होना है. घाट के निर्माण में प्रयोग होने वाली सामग्री सीधे गंगा से खोदकर अवैध रूप से लाई जा रही है. गंगा की रेत और पत्थरों को ही गंगा घाट के निर्माण के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है. इसके बावजूद कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग के अफसरों ने अब तक कोई आपत्ति नहीं उठाई है. कोर्ट के आदेशानुसार गंगा में खनन पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया गया है. बावजूद इसके यहां खुलेआम खनन किया जा रहा है. सभासदों ने रुकवाया घाट का निर्माण कार्य: यदि हम बात करें सूत्रों कि तो इस बात का पता चला है कि मुनिकीरेती में गंगा किनारे चल रहे घाट के निर्माण कार्य को नगर पालिका के सभासदों ने मौके पर पहुंचकर रुकवा दिया. उन्होंने कार्यदायी संस्था पर निर्माण को लेकर लापरवाही का आरोप लगाया है. सभासद बिन्नू चौहान और गजेंद्र सिंह ने बताया कि कार्यदायी संस्था मानकों के अनुरूप यहां गंगा घाट का निर्माण नहीं कर रही है. सिंचाई विभाग के आला अधिकारियों के सामने ही गंगा से अवैध खनन कर रेत का का प्रयोग निर्माण कार्य में किया जा रहा है. सभासदों ने उन्होंने मौके पर जेई अनिल राव को बुलाया और निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई. इस पर जेई ने तत्काल काम को रुकवा दिया. दिल्ली अग्निकांड: बॉलीवुड के स्टार्स ने जताया शोक, अभिनेता ने साधा सरकार पर निशाना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री से मिले कटरीना और सलमान, शेयर की तस्वीर 'कौन से खेत की मूली हैं कमलनाथ', शिवराज के बयान के खिलाफ कांग्रेस ने खोला मोर्चा