विवादास्पद लेखिका ने की पाकिस्तान-बांग्लादेश की निंदा

इंदौर : बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन के लिये विवादों में रहना कोई नई बात नहीं है. तस्लीमा नसरीन ने पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी मुल्कों के मुकाबले भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की हालत को काफी बेहतर बताया है. अपनी मातृभूमि बांग्लादेश से निर्वासन का दंश झेल रहीं 55 वर्षीय लेखिका का कहना है कि भारत उन्हें अपने घर की तरह लगता है.

धार्मिक कट्टरपंथियों की कई धमकियों का सामना कर चुकीं लेखिका इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में हिस्सा लेने आयीं है. विशेष साक्षात्कार में तस्लीमा ने कहा, 'बांग्लादेश में हिंदुओं और बौद्धों पर बहुत अत्याचार होता है. मैं हालांकि पाकिस्तान कभी नहीं गयी. लेकिन मैंने वहां भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के जबरन धर्मांतरण और उन पर ढाये जाने वाले दूसरे जुल्मो-सितम के बारे में पढ़ा है. इन दिनों उन्हें एक ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित हालिया लेख के विवादास्पद अंश को लेकर सोशल मीडिया पर खासी आलोचना झेलनी पड़ रही है. इस अंश में राजस्थान में एक मुस्लिम मजदूर की हत्या के वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट किये जाने की सनसनीखेज वारदात की आतंकी संगठन आईएसआईएस के हिंसक कृत्यों से कथित तौर पर तुलना की गयी है.

बांग्लादेशी लेखिका विवादास्पद लेखन के लिये मशहूर है. साक्षात्कार में तस्लीमा ने आगे कहा की आप जिस समाज और परिवेश से प्रेम करते हैं, उसे हिंसा और घृणा से मुक्त देखना चाहते हैं. इसलिये मैं हर धर्म के अतिवादियों के खिलाफ समान भाव से कलम चलाती हूं.' दुनिया भर में समान नागरिक संहिता के विचार की जोरदार पैरवी करते हुए तस्लीमा ने कहा कि धार्मिक कानूनों की वजह से खासकर महिलाओं को सामाजिक प्रताड़ना और भेदभाव झेलने पड़ रहे हैं.

 

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