लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए अपमानजनक बयान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक तरफ रविवार (29 जनवरी) को स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपना बयान वापस लेने से मना कर दिया, तो वहीं दूसरी तरफ उनके समर्थन में अब अखिल भारतीय ओबीसी महासभा उतर आई है. उसने लखनऊ के PGI के वृंदावन योजना में रामचरितमानस की प्रतियां जलाकर इस विवाद को और बढ़ावा दे दिया है. पुलिस फिलहाल इस बारे में जानकारी एकत्रित कर रही है. वहीं, वृंदावन योजना इलाके में रामचरितमानस की प्रतियां जलाए जाने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. पुलिस मामले की गंभीरता को देखते हुए सतर्क हो गई है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने नए बयान में कहा कि रामचरितमानस पर दिए बयान से वह पलटने वाले नहीं है. रविवार को मौर्या ने कहा कि धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करता रहूंगा, जिस प्रकार कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलता, उसी प्रकार से इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा. वहीं, विश्व हिन्दू परिषद (VHP) नेता विनोद बंसल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'अखिलेश से मिलने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थकों द्वारा श्री रामचरितमानस को लखनऊ वृंदावन योजना में जलाए जाने की खबर हृदय विदारक है. हमें विश्वास है कि यूपी पुलिस हिंदू द्रोहियों को सबक सिखाएगी.' बता दें कि हाल ही में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पवित्र धर्मग्रंथ ‘श्रीरामचरितमानस’ पर अपमानजनक टिप्पणी करते हुए कहा था कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने इसे अपनी प्रसन्नता के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते. उन्होंने सरकार से इस पर बैन तक लगाने की मांग तक कर दी थी. उन्होंने रामचरितमानस को बकवास करार देते हुए इसकी कुछ चौपाइयां हटाने की मांग की थी. वंदे भारत ट्रेन में फैला हुआ मिला कचरा, तस्वीर देख रेल मंत्री ने कही ये बड़ी बात मेघालय चुनाव: कांग्रेस उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी, 27 फरवरी को होगी वोटिंग आम बजट से पहले पीएम मोदी ने बुलाई कैबिनेट मीटिंग, बड़े बदलाव की संभावना