स्कूलों ने बदला पढ़ाने का तरीका, घर में पढ़ाई करवा रहे अभिभावक

महामारी कोरोना संकट के कारण भले ही स्कूलों को लंबे समय तक बंद करना पड़ा है, लेकिन बदली परिस्थितियों में पढ़ाई के रंग-ढंग बदल गए हैं. बच्चों ने टीचर्स और पैरेंट्स के सहयोग से खुद को इसके अनुसार ढाल लिया. कब और कैसे जा सकेंगे स्कूल, इसे लेकर बेशक संशय है लेकिन जब तक पूरी सुरक्षा के साथ स्कूल नहीं खुलते, तब तक क्यों न घर को ही बना लिया जाए स्कूल. होमस्कूलिंग के फार्मूले को अपनाकर घर पर रहने के अनुभव को और मजेदार बना लिया जाए.

नेपाल ने गोलीबारी के दौरान हिरासत में लिए गए भारतीयों को किया रिहा

इसके अलावा बेंगलुरु की सुप्रिया नारंग इन दिनों अपने इकलौते बेटे को घर पर ही पढ़ा रही हैं. हालांकि बेटा सात वर्ष का है, पर उनका होमस्कूल में ही पढ़ाने का इरादा है. इन दिनों उनकी दिनचर्या बदली हुई है, क्योंकि अभी उन अभिभावकों के लगातार फोन आ रहे हैं, जो परंपरागत स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाते हैं. संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण ये अभिभावक नहीं चाहते कि बच्चे अभी स्कूल जाएं, इसलिए वे सुप्रिया नारंग से होमस्कूल के विकल्प को जानना चाह रहे हैं. चूंकि सुप्रिया सबको फोन पर विस्तार से होमस्कूल के तरीके नहीं बता सकतीं, इसलिए फेसबुक लाइव के जरिए जानकारियां दे रही हैं.

आंध्र में TDP का एक और नेता गिरफ्तार, जेसी प्रभाकर रेड्डी पर धोखाधड़ी का केस दर्ज

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वे होमस्कूल से जुड़ी इस गलतफहमी का भी जवाब देती हैं कि होमस्कूल में बच्चा घर पर पढ़ाई करने के कारण मिलनसार या सामाजिक नहीं होता, उसे बच्चों के साथ खेलकूद का मौका नहीं मिलता आदि. सुप्रिया के मुताबिक, घर पर बच्चों को न केवल अच्छी शिक्षा दी जा सकती है, बल्कि उन्हें एक बेहतर नागरिक के रूप में भी तैयार किया जा सकता है. यदि आप यह सोच रहे हैं कि होमस्कूलिंग यानी घर पर रहकर कैसे हो सकती है पढ़ाई, तो आइए यहां थोड़े विस्तार से जानते हैं.

रिलीज हुई वेब सीरीज 'द कसीनो', सेलेब्स ने दिया यह रिएक्शन

अपने जन्मदिन पर दिशा ने दी आदित्य ठाकरे को बधाई

राहुल गाँधी के 'असहिष्णु भारत' वाले बयान पर भड़के नकवी, किया करारा पलटवार

 

Related News