पीएम मोदी ने 24 मार्च को पहला लॉकडाउन लागू किया था. जिसे लागू किए अब 44 दिन बीत चुके हैं. सरकार ने यह फैसला कोरोना से बचाव में लिया था. ऐसे में सबसे बड़ी दिक्कत उन उद्यमियों के सामने खड़ी हो गई है, जिनकी कंपनियां लगभग डेढ़ महीने से बंद हैं. वहीं, मजूदरों के पलायन के चलते लॉकडाउन खुलने के बाद भी इस समस्या से निजात मिलती नहीं दिखाई दे रही है. यही कारण है कि जहां दिल्ली और हरियाणा के सरकारें पूरा जोर लगा रही हैं कि मजदूर अपने घरों को न लौटें. वहीं, मप्र, छग में कई तरह की छूट देकर उद्यमियों को कुछ राहत दी गई है. पाकिस्तान में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम घटे, वहीं भारत में इससे सरकारी खजाने भरने की कवायद आपकी जानकारी के लिए बता दे कि दिल्ली और हरियाणा सरकार नहीं चाहती कि श्रमिक अपने घरों को वापस लौटें. सरकार की इस सोच में उद्योगों के साथ-साथ मजदूरों का हित छिपा है. क्योंकि सरकारों का मानना है कि किसी भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ उद्योग धंधे होते हैं और उद्योग धंधों की रीढ़ श्रमिक. ऐसे में अगर श्रमिक चले गए तो उद्योग बंद हो जाएंगे. ऐसे में अर्थव्यवस्था को तो नुकसान होगा ही. आयुर्वेदिक दवाओं से हारेगा कोरोना ! स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुरू किया ट्रायल माना जा रहा है कि जब मजदूर लौटेंगे तो उन्हें भी काम नहीं मिलेगा. इससे उन्हें भी इसका नुकसान उठाना पड़ेगा. वहीं, दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव की ओर से भी साफ किया गया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जो आदेश दिए हैं वह व्यवस्था केवल उनके लिए है, जो लोग दिल्ली में किसी काम से आए थे और लॉकडाउन के कारण यहां रह गए हैं. दिल्ली में जो लोग रह रहे हैं, काम धंधा कर रहे थे. उनके लिए वह सुविधा नहीं है. दुनियाभर में दिखा साल के आखिरी 'सुपरमून' का अद्भुत नज़ारा, यहाँ देखें शानदार Pics विशाखापट्टनम, छत्तीसगढ़ और अब नासिक, 24 घंटे के अंदर देश में चौथा बड़ा हादसा उपराष्ट्रपति से मिले स्पीकर ओम बिड़ला, कोरोना संकट में सांसदों की भूमिका पर हुई चर्चा