कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते देश को मेडिकल ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा था। ऐसे में रोगियों में ऑक्सीजन का स्तर निर्धारित करने वाली ऑक्सीमीटर की खरीद करने की बहुत हड़कंप मचा था। कई मोबाइल एप्लीकेशन ऐसे आए, जिन्होंने रोगी या सामान्य शख्स के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा मतलब स्थिति बताने का दावा किया। मगर डॉक्टर्स की माने तो मोबाइल ऐप्लीकेशन में ऐसी कोई तकनीक नहीं है, जो बॉडी में प्राणवायु की मात्रा बता सकें। इन ऐप्लीकेशन का इस्तेमाल मरीज की जान को संकट में डाल सकता है। डॉ। रवि मोहता ने कहा कि ऐसे ऑक्सीजन की कमी का लाभ उठाते हुए कई ऑक्सीमीटर मार्केट में ऐसे भी आए जो सरकार के नियम तथा मानक पर खरे नहीं उतरते हैं एवं उनके इस्तेमाल करने पर रोगी को सही जानकारी भी हासिल नहीं होती। इसलिए आवश्यक यह है कि ऑक्सीटर जांच-परखकर खरीदें। रवि मोहता ने ऑक्सीजनल सेचुरेशन बताने वाले एक मोबाइल ऐप्लीकेशन का इस्तेमाल बताया, जिसमें ऑक्सीजन सेचुरेशन भी आया। मगर ऐप्लीकेशन में ऑक्सीजन सेचुरेंशन देते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह सटीक होने का दावा नहीं करता। मार्केट में मौजूदा वक़्त ऐसे दो दर्जन से अधिक ऐप हैं, जो ऑक्सीमीटर के बगैर ऑक्सीजन सेचुरेशन बताने का दावा कर रहे हैं। डॉ।रवि मोहता ने बताया कि मोबाइल ऐप्लीकेशन सरकार के नियमों तथा मानकों के अनुरूप नहीं है। जबकि ऑक्सीमीटर भी घर या मार्ग में इस्तेमाल के लिए ही होते हैं। हॉस्पिटल में ऑक्सीजन, हार्टबीट सहित विभिन्न स्तरों की जांच के लिए बड़ी मशीने लगती हैं। दूसरी लहर के चलते चीन से आयात हुए ऑक्सीमीटर व्यक्तियों की समस्यां की वजह बने हैं। ऐसे में लोग सही स्थान से और पक्के बिल पर ही जांच-परखकर ऑक्सीमीटर खरीदें। चीन का बड़ा षड्यंत्र हुआ बेनकाब, 2 महीने के अंदर साइबर ठगी से आमजन को लगाया 250 करोड़ का चूना भोपाल के ट्रांसफार्मर इंडस्ट्री में आग का कहर, देखते ही देखते राख में बदली फैक्ट्री मानसून बना जान का दुश्मन, झारखंड में बिजली गिरने से हुई 5 की मौत