भारत में कोविड-19 महामारी के मध्य मोरेटोरियम अवधि के समय टाली गई EMI पर ब्याज न लेने की मांग पर आज सर्वोच्च अदालत में सुनवाई होगी. 17 जून को इस केस पर सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई दो माह के लिए टाल दी थी. अदालत ने कहा था कि गवर्नमेंट और रिज़र्व बैंक इस मध्य स्थिति की समीक्षा करें और देखें कि लोगों को किस तरह से राहत दी जा सकती है. UGC फाइनल ईयर एग्जाम: परीक्षाएं होंगी या नहीं ? सुप्रीम कोर्ट आज दे सकता है फैसला पिछली सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने बताया था कि गवर्नमेंट इसे बैंक और ग्राहकों के मध्य का मसला बता कर पल्ला नहीं झाड़ सकती. सर्वोच्च अदालत ने यह भी बताया कि बैंक हज़ारों करोड़ रुपए एनपीए में डाल देते हैं. किन्तु कुछ माह के लिए स्थगित ईएमआई पर ऋण लेना चाहते हैं. इन फिल्मों से लोकप्रिय हुए थे अजीत वचानी, इस तरह बने कामयाब इस पर बैंकों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने बताया था, “बैंक इस अवधि के दौरान भी अपने यूजर्स की जमा राशि पर चक्रवृद्धि ब्याज दे रहे हैं. अगर उन्होंने लोन पर ऋण न लिया तो इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा.“ बैंकों की तरफ से ही पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, “ऐसा कभी भी नहीं कहा गया था कि ईएमआई का भुगतान टालने की जो सुविधा दी जा रही है, वह फ्री है. लोगों को यह पता था कि इस रकम पर ब्याज लिया जाएगा. इसलिए, 90 फीसदी लोगों ने यह सुविधा नहीं ली. ब्याज न लेने से बैंकों का बहुत बड़ा नुकसान होगा."वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बड़े लोन और छोटे लोन के लिए अलग-अलग व्यवस्था बनाए जाने का सुझाव दिया था. इस पर कोर्ट आश्वस्त नज़र नहीं आया. न्यायधीश ने था कहा कि गवर्नमेंट की भूमिका बस मोरेटोरियम के घोषणा तक सीमित नहीं रहनी चाहिए. सुशांत सिंह केस में आवाज उठाने वालों को मिल रही है जान से मारने की धमकी रिया की Whatsapp चैट से हुआ हैरान कर देने वाला खुलासा, केस में आया नया मोड़ NEET-JEE एग्जाम और GST पर सोनिया गांधी ने बुलाई बैठक, शामिल होंगे इन राज्यों के सीएम