CORONA का बढ़ा प्रकोप, दवा उद्योगों पर आ सकती है तालाबंदी की नौबत

शिमला: बीते कई दिनों से कोरोना के कारण देशभर में चल रहे जनता कर्फ्यू को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है. और एक तरफ यह अच्छा भी है, जितना ज्यादा इस बात को गंभीर रूप से लिया जाएगा उतनी ही जल्दी यह देश कोरोना से जिंदगी की जंग जीत लेगा. हिमाचल के सिरमौर जिले कालाअंब क्षेत्र में चल रहे दवा उद्योगों पर संकट के बादल मंडराने शुरू हो गए हैं. हालांकि, सरकार ने लॉकडाउन के दौरान दवाइयों के उत्पादन को जारी रखने की मंजूरी दी है. लेकिन, कामगार नहीं होने के कारण उत्पादन प्रभावित हो गया है. शुक्रवार को कालाअंब में आधा दर्जन से अधिक दवा उद्योग नहीं चल पाए.  बताया जा रहा है कि उन्हीं दवा उद्योगों में उत्पादन शुरू हुआ है, जिनके पास दवा निर्माण प्रक्रिया के लिए आवश्यक स्टाफ और कर्मचारी मौजूद हैं. 

मिली जानकारी के अनुसार सरकार और जिला प्रशासन के आदेशानुसार दवा निर्माता इकाइयों के साथ साथ फूड प्रौद्योगिकी इकाइयों को लॉकडाउन और कर्फ्यू में उत्पादन करने की छूट दी गई है. कालाअंब औद्योगिक क्षेत्र में भी जिला उपायुक्त ने उन्हीं दवा या फूड प्रॉसेसिंग उद्योगों को चलाए जाने की अनुमति दी है. बाहरी राज्यों से आने वाले कामगारों का प्रवेश पूर्णतया बंद किया गया है. कालाअंब में चल रहे उद्योगों के अधिकतर कामगार हरियाणा राज्य से होकर आते हैं.

वहीं यह भी कहा जा रहा है कि कर्फ्यू के बाद अब बाहरी राज्य से किसी भी तरह की आवाजाही पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है. जिसके कारण उद्योगों का उत्पादन नाममात्र रह गया है. उद्योगपति इसको लेकर चिंतित हो गए हैं. अन्य उद्योगों पर पूरी तरह से ताले लटक गए हैं. मजदूरों को छुट्टी दे दी गई है. उधर, उद्योगों में हो रहे उत्पादन की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं.  ऐसी स्थिति में यदि कोई दवा निर्माता नियमों को दरकिनार करके दवा निर्माण करता है तो उसकी गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठता है.

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