भारत में कोरोना वायरस मुसीबत बनता जा रहा है. वही, दुनिया के अन्य देश भी कोविड-19 से जूझ रहे है. वैज्ञानिक इससे निपटने के लिए प्रयोगशालाओं में दिन-रात एक किए हुए हैं. लेकिन अभी तक यह भी नहीं पता चल पाया है कि आखिरकार यह महामारी फैली कैसे? क्या यह प्राकृतिक कारणों से उपजी है या मानव निर्मित है? इन सवालों के जवाब अभी तक तो भविष्य के गर्त में ही हैं. ईरान में कोरोना से बचने के लिए मेथेनॉल पी रहे लोग, अफवाह के चलते ३०० लोगों ने गँवाई जान दूसरी ओर अब शोधकर्ताओं ने ऐसी महामारी फैलने के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान करने के लिए एक नया उपकरण विकसित किया है, जो यह बता सकता है कि महामारी प्राकृतिक है या मानव निर्मित. शोधकर्ताओं का कहना है कि नए उपकरण के जरिये कोरोना जैसी महामारियों की उत्पत्ति की जांच करना आसान हो जाएगा. कोरोना को लेकर सबसे बड़ी खबर, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पाए गए संक्रमित आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि, आमतौर पर माना जाता है प्रत्येक प्रकोप मूल रूप से प्राकृतिक होता है. इसके जोखिमों की उत्पत्ति का आकलन करते समय अप्राकृतिक कारणों को शामिल नहीं किया जाता. इसका सबसे बड़ा नुकसान यह हो सकता हमें भविष्य में किसी अन्य महामारी का करना पड़े. इसीलिए समय बदलने के साथ-साथ हमें किसी भी महामारी के फैलने पर इसके अप्राकृतिक कारणों पर भी गौर करना चाहिए ताकि भावी पीढि़यों को जान के जोखिम से बचाया जा सके. क्या कोरोना का होने वाला है अंत ? वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता ब्रिटेन ने भी अपनाया पीएम मोदी का तरीका, कोरोना वारियर्स के समर्थन में बजाई तालियां काबुल गुरुद्वारा हमला: केरल के आतंकी ने दिया था वारदात को अंजाम ! जांच में जुटी सुरक्षा एजेंसियां