कोरोना वायरस को खत्म करने वाली दवा अभी तक बनाई नही जा सकी है. लेकिन सख्त लॉकडाउन उपायों ने इटली, स्पेन, जर्मनी और नीदरलैंड जैसे यूरोपीय देशों में कोरोनो वायरस के प्रसार को धीमा किया है. जबकि अमेरिका, जिसे धीमी प्रतिक्रिया के लिए कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी है, करीब 5 लाख संक्रमण के मामले सामने आने के बाद महामारी का केंद्र बन गया है. साथ ही यहां पर करीब 17,000 से अधिक मौतें हो चुकी हैं. जांस हापकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार, जब किसी देश में पिछले दिन की तुलना में कम नए कोविड-19 के मामले उभरते हैं तो यह संकेत है कि संक्रमण का ग्राफ गिर रहा है. बड़ी खबर: अब बिना कर्फ्यू पास के भी बाहरी राज्यों में जा सकते है सब्जियों के वाहन न्यूजीलैंड आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह देश 23 मार्च को देश सीधे दूसरे से चौथे आपातकाल स्तर पर पहुंच गया. इसके तहत, स्कूल और गैर-आवश्यक व्यवसाय बंद किए गए और लोगों को घर पर रहने के लिए कहा गया. यहां तक की घर में रहने वालों को भी दो मीटर की दूरी रखने के लिए कहा गया. अभी तक न्यूजीलैंड में कुल 1283 मामले सामने आए हैं और दो मौतें हुई हैं. आलम यह है कि वहां के स्वास्थ्य मंत्री डेविड क्लार्क को लॉकडाउन का उल्लंघन करने के कारण इस्तीफा देने के लिए कहा गया. कोरोना को मिटाने के लिए विश्वास से भरी नजर आई भारतीय जनता जर्मनी वर्तमान समय में इस देश में संक्रमितों की संख्या 1,18,181 तक पहुंच चुकी है, लेकिन मरने वालों का आंकड़ा 2607 है. मौतों के आंकड़ों को थाम देने के लिए परीक्षण, पहचान और पहुंचना, सरकार द्वारा सख्त कदम और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं वजहें रहीं. 22 मार्च से लॉकडाउन है और यह चौथा देश था जहां संक्रमितों की संख्या एक लाख के पार पहुंच गई. देश 19 अप्रैल तक सामान्य हालात में पहुंचना चाहता है. जर्मनी में 27 मार्च को एक ही दिन में 6933 नए मामले सामने आए और 2 अप्रैल को 6922 मामले. लोगों में छाई खुशी की लहर, लॉकडाउन में इस विमान ने भरी मेलबर्न की उड़ान कोरोना पर काबू पाने के लिए अपनाया जा रहा यह तरीका इस प्लान से कोरोना की जमीनी हकीकत जान रहे पीएम मोदी