सोशल मीडिया पर नोएडा के बड़े पब्लिक स्कूल के बच्चों की कारस्तानी ने एक बार फिर देश के संपन्न समाज की संवेदनाओं को कुरेद दिया है. हालांकि आईटी एक्सपर्ट इसे लेकर बहुत हैरान नहीं हैं. आईबीएम में सीनियर पद पर काम कर रहे राजेश चौधरी का कहना है कि इंटनेट आपको पलभर में दुनिया से जोड़ता है. कब कौन आपके पास कैसे चला आएगा, पता नहीं चलेगा. इसलिए जितना अच्छा है, सुविधाजनक है, उतना ही बुरा भी. सावधानी ही आपको, आपके बच्चों को बचा सकती है. क्या कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहा भारत ? आपकी जानकारी के लिए बात दे कि एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख राजेश सागर का कहना है कि संचार की तकनीक शहर से लेकर गांव तक का जीवन बदल रही है. माता-पिता को अपने काम से फुरसत नहीं है. वह एक व्यस्तता से खाली होते हैं तो उनका ज्यादा समय फेसबुक, व्हाट्सएप, नेटफ्लिक्स पर फिल्में देखने, सोशल मीडिया पर व्यस्त रहने में चला जाता है. सही बात यह है कि अभिभावक अपने बच्चों को संसाधन तो दे देते हैं, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दे पाते. पुणे में भी हो सकता था औरंगाबाद जैसा हादसा, पटरी पर चल रहे थे मजदूर और आ गई ट्रेन.... अपने बयान में आगे राजेश सागर का कहना है कि आजकल के बच्चे प्रायोगिक अंग्रेजी में ठीकठाक, मॉडर्न, तकनीक का प्रयोग करने वाले हैं. डॉ. सागर मानते हैं कि टीवी के विज्ञापन से लेकर इंटरनेट, मोबाइल फोन पर बहकने की गुंजाइश काफी रहती है. डॉ. सागर का कहना है कि आप देखेंगे तो पाएंगे कि पोर्नोग्राफी हर वर्ग, उम्र को आकर्षित करती है. वही, एक उम्र के बाद बच्चों में भी विपरीत सेक्स के प्रति रुझान बढ़ जाता है. आज के जमाने में इस रुझान को पूरा करने के लिए रिसोर्स आसानी से उपलब्ध हैं. वह कहते हैं कि इंटरनेट के डाटा खर्च होने का वर्गीकरण करेंगे तो पाएंगे कि सबसे अधिक पोर्नोग्राफी देखी जा रही है. आंध्र सरकार ने बंद की शराब की 33 फीसद दुकानें, इससे पहले 75 प्रतिशत बढ़ाए थे दाम प्रेम-विवाह के बाद मुस्लिम युवती ने स्वीकार किया लिंगायत धर्म कई तरीकों को अपनाकर कोरोना का मुकाबला कर रहा भारत