कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते चीन में संचालित भारतीय कंपनियों को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।इसके अलावा इन कंपनियों का राजस्व घट रहा है और अनियोजित खर्च बढ़ रहा है। इसके साथ ही जानलेवा वायरस से डरे कर्मचारियों को बनाए रखने की भी एक बड़ी चुनौती है। वहीं जो भारतीय कंपनियां चीन से अपना कच्चा माल आयात करती हैं, उनके लिए भी अपनी जरूरतों को पूरा करना कठिन हो रहा है। इसके साथ ही सोमवार रात तक चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 2,666 और संक्रमित लोगों की संख्या 77,780 तक पहुंच चुकी थी। दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है चीन चीन में 14 फरवरी तक 48 शहर और 4 प्रांत लॉकडाउन मोड में थे। इसके साथ ही चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक और दूसरा बड़ा आयातक देश है। वहीं चीन का दुनिया के कुल निर्यात में 13 फीसद और कुल आयात में 11 फीसद हिस्सा है। लॉकडाउन के चलते चीन में 500 मिलियन लोगों पर असर पड़ा है, जिससे वस्तुओं की खपत बुरी तरह प्रभावित हुई है। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण चीन की तेल खपत के 30 फीसद तक गिरने का अनुमान है। कंफेडेरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) ने 16 फरवरी को 'नोवल कोरोनावायरस इन इंडिया: एन इंपेक्ट एनालिसिस" शीर्षक से एक सर्वे रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि चीन में 130 भारतीय कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों को रोकने और उनकी भर्ती करने की है, क्योंकि ज्यादातर लोग अपने घर के पास ही काम करना चाहते हैं और ज्यादा दूर तक ट्रैवल करने से डर रहे हैं। वहीं सर्वे रिपोर्ट में बिना नाम लिये बताया गया कि चीन में भारतीय आईटी कंपनियों को बुरी तरह नुकसान हुआ है। राजस्व व ग्रोथ दोनों पर प्रतिकूल असर सीआईआई ने रिपोर्ट में कहा, 'चीन में लूनर नववर्ष की छुट्टियों के विस्तार से चीन के बाहर काम करने वाली भारतीय आईटी कंपनियों के राजस्व और ग्रोथ पर प्रतिकूल अरस पड़ा है।वहीं आईटी कंपनियां मैनपावर पर काफी हद तक निर्भर होती हैं और लोगों की आवाजाही पर रोक के कारण वे कामकाज नहीं कर पा रही हैं।'इसके अलावा दूर हो रहे आईटी कंपनियों के वैश्विक ग्राहकसीआईआई ने आगे कहा, 'इसके फलस्वरूप भारतीय आईटी कंपनियां शामिल प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा नहीं कर पा रही हैं और नए प्रोटेक्स में भी कमी आ रही है। इससे अब चीन में स्थित भारतीय आईटी कंपनियों के वैश्विक ग्राहक मलेशिया और वियतनाम जैसी जगहों पर नए सर्विस प्रोवाइडर्स के पास जा रहे हैं।' कई जगहों पर 24 जनवरी से बंद है व्यापार सर्वे में बताया गया है कि छुट्टियों के विस्तार से उत्पादकता घट गई है, जिसका सीधा असर राजस्व और ग्रोथ पर पड़ा है। चीन में कई जगहों पर व्यापार पिछली 24 जनवरी से बंद है। चीन में ये भारतीय कंपनियां इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग, मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज, आईटी एंड बीपीओ, लॉजिस्टिक्स, केमिकल, एयरलाइन और टूरिज्म जैसे सेक्टर्स से जुड़ी हैं। कंपनियों का अनुमान है कि पहली और दूसरी तिमाही में उनके राजस्व में 15 से 20 फीसद की गिरावट आ सकती है। यह माना जा रहा है कि व्यापार तीसरी तिमाही से ही सामान्य हो पाएगा। फिक्स्ड कॉस्ट बनी गले की फांस सीआईआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'उत्पादन रुक जाने के चलते कंपनियों, विशेषतौर पर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर फिक्स्ड कॉस्ट जैसे- वेतन, ऑफिस रेंट, ब्याज, वैधानिक ओवरहेड्स आदि का भार पड़ रहा है। फरवरी और मार्च महीने में राजस्व में नुकसान से नकदी की कमी हो जाने की भी संभावना है, क्योंकि बिना किसी बिक्री के फिक्स्ड कॉस्ट लगातार बनी रह सकती है।' सोने के दाम में आयी बढ़ोतरी, यह रहा भाव मेट्रो ट्रैन प्रोजेक्ट पर व्यापारियों ने किया विरोध प्रदर्शन सोने-चांदी के भाव में आई भारी गिरावट, जानिए क्या है वजह