कोरोना संकट में मनरेगा के माध्यम से गांवों में पहुंचा करोड़ों रुपया

देहरादून: कोरोना के इस समय में राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देने का काम मनरेगा के माध्यम से भी हुआ है. बीते चार महीने में ही ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 450 करोड़ रुपया खर्च किया गया है. इसमें से लगभग 225 करोड़ रुपये तो मजदूरी ही दी गई है. वही कोरोना संकट मेें मनरेगा से प्राप्त सहारे को दूसरे ढंग से भी समझा जा सकता है. राज्य में मनरेगा का इस बार का बजट लगभग 700 करोड़ रुपये का है. 

वही COVID-19 संक्रमण के पश्चात् लॉकडाउन-2 में 22 अप्रैल से मनरेगा के तहत कार्य आरम्भ किया गया था. बीते चार महीने में ही लगभग 450 करोड़ रुपये खर्च किया जा चुका है. वही मनरेगा ने कोरोना संकट में श्रमिकों को भी सहारा दिया है. 3 सितंबर तक राज्य में एक लाख से ज्यादा नए रजिस्ट्रेशन इस रणनीति के तहत हुए. मनरेगा के नोडल अफसर मोहम्मद असलम के अनुसार, इसमें से 99 प्रतिशत श्रमिक ही हैं. इसमें से लगभग 83 हजार ऐसे हैं, जिन्होंने किसी न किसी तौर पर मनरेगा में कार्य करके मजदूरी भी प्राप्त की है.

साथ ही इस रणनीति के तहत अब तक कुल मिलाकर 6.75 लाख व्यक्तियों को कार्य दिया जा चुका है. सबसे ज्यादा काम टिहरी में किया गया, जहां 1.15 लाख व्यक्तियों ने इस योजना का मुनाफा लिया. द्वितीय नंबर पर पौड़ी है, जहां लगभग 85 हजार व्यक्तियों ने मनरेगा के तहत कार्य किया. इन लोगों ने 10 दिन से लेकर 15 दिन तक का कार्य किया. कुल मिलाकर मजदूरी पर मनरेगा के तहत लगभग 225 करोड़ रुपये खर्च हुए. इसी के साथ श्रमिकों को आर्थिक रूप से काफी सहारा प्रदान किया गया है.

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