वैज्ञानिकों ने किया शोध, इस प्रजाति के गेहूं की रोटी से होगा इम्यून सिस्टम स्ट्रांग

देहरादून: अक्सर माना जाता है, भोज्य पदार्थों में मुख्य तौर पर जिंक और आयरन की कमी कुपोषण की प्रमुख वजह है. जिंक की कमी से जहां बॉडी की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है, वहीं लौह तत्व की कमी से एनीमिया जैसी बीमारियों को निमंत्रण मिलता है. वही पंतनगर कृषि एवं यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने आम गेहूं की तुलना में 65 फीसद ज्यादा जस्ते और आयरन युक्त गेहूं की प्रजाति विकसित करने में उपलब्धि प्राप्त की है. 

यह दावा है कि इस गेहूं के आटे की बनी रोटी खाने से लोगों का इम्यून सिस्टम स्ट्रांग बनेगा, जो COVID-19 जैसी घातक बीमारी से बचाव में सहायक सिद्ध होगा. राज्य प्रजाति विमोचन कमिटी ने पंतनगर विवि से विकसित गेहूं की यूपी-2903 प्रजाति का हाल में विमोचन किया था. यह प्रजाति राज्य के सिंचित इलाको में बुवाई के लिए उचित है. इस प्रजाति की औसत उत्पादकता 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और उपज क्षमता 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पाए गए है. वही इस प्रजाति में प्रोटीन की मात्रा जहां 12.68 प्रतिशत पाई गई है, वहीं इसमें जस्ते और लौह तत्व की मात्रा करीब 65 प्रतिशत ज्यादा है.

वही यह प्राय: नार्मल प्रजातियों में नहीं पाई जाती है. राष्ट्रीय परीक्षणों में जहां इसमें जस्ते की मात्रा 49 पीपीएम से ज्यादा पाई गई है, वहीं इस प्रजाति में लौह तत्व की मात्रा 47 पीपीएम तक पाई गई है. साथ ही गेहूं की उत्तर प्रदेश-2903 प्रजाति विकसित करने वाले पंतनगर विवि के प्राध्यापक एवं वरिष्ठ गेहूं प्रजनक डॉ. जेपी जायसवाल ने अपने बयान में बताया कि हमारी टीम की कोशिश है कि भविष्य में जो भी प्रजाति विकसित हों, वह उच्च उत्पादन क्षमता के साथ रोग एवं कीटों के प्रति अवरोधी होने समेत प्रोटीन, जस्ता और लौह तत्व की प्रचुर मात्रा से युक्त हों. इसी के साथ इन गेहूं की रोटियों को उपयुक्त बताया गया है.

केरल सोना तस्करी केस में 21 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में आरोपी स्वप्ना सुरेश और संदीप नायर

तालुक भवन में कर्मचारी निकला कोरोना पॉजिटिव, तीन दिन के लिए हुआ सील

भूमि पूजन में दलित महामंडलेश्वर को नहीं बुलाए जाने पर भड़का अखाडा परिषद्, दी कार्रवाई की धमकी

 

Related News