महिलाओं की कड़ी घेराबंदी के बाद भी लाहौल में कोरोना ने दी दस्तक

शिमला: महिलाओं की किलेबंदी को पछाड़ कर आखिरकार लाहौल-स्पीति में भी कोरोना ने अपनी एंट्री मार ही ली. महिलाओं और स्थानीय लोगों की कड़ी पाबंदियों के बावजूद घाटी में कोरोना का पहला मामला सामने आ चुका है. जिसके बाद से प्रशासन और बीआरओ की मुस्तैदी पर सवाल खड़े होने लगे है. अभी तक जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में एक भी कोरोना का मामला सामने नहीं आया था. लेकिन पिछले कुछ दिन से घाटी में बाहरी राज्यों से कामगारों की आवाजाही बढ़ने के कारण बीते सोमवार को कोरोना का पहला मामला सामने आ गया है.

मिली जानकारी के अनुसार हिमाचल के बाहर से आने पर स्थानीय लोगों को संस्थागत क्वारंटीन करने के साथ उनके सैंपल लिए जा रहे हैं तो बाहरी राज्यों के कामगारों को खुली छूट क्यों मिल रही है. इन्हें संस्थागत क्वारंटीन क्यों नहीं किया जा रहा और इनके सैंपल क्यों नहीं लिए जा रहे हैं? सरकार के निर्देश हैं कि बाहरी राज्यों से आने वालों को संस्थागत क्वारंटीन किया जा सकता है.  बीआरओ के उच्च अधिकारी ने कहा कि ठेकेदार से इस बारें में कड़ी पूछताछ की जाएगी.

महिलाओं ने कृषि मंत्री को भी नहीं आने दिया था काजा: वहीं इस बात का पता चला है कि तोद वैली से जिप सदस्य छिमेद लामो और दारचा पंचायत प्रधान सोनम डोलमा ने कहा कि कोरोना का मामला आने से पहले घाटी की महिलाएं बीआरओ के साथ ठेकेदारों के कामगारों को इलाके से भेजे जा चुके है. महिलाओं ने कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा को भी काजा में नहीं घुसने दिया था. घाटी में बाहरी राज्यों के कामगारों पर पाबंदी को लेकर महिलाएं शुरू से विरोध कर रही हैं. जिप सदस्य छिमेद ने कहा कि बाहरी राज्यों से घाटी में आने वाले मजदूरों को संस्थागत क्वारंटीन करने के साथ उनके सैंपल लेना अनिवार्य किया जाए. कहा कि कोरोना के खौफ से इलाके के लोगों ने नगदी फसलों की बिजाई तक छोड़ दी है. बीआरओ के कमांडर कर्नल उमा शंकर ने कहा कि मामले को लेकर ठेकेदार से जवाबतलब किया जाएगा. डीसी केके सरोच ने कहा कि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है और लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें.

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