कई प्रभावी कदम उठाने के बाद भी कोरोना को लेकर अच्छे बुरे आंकड़े सामने आ रहे है. वही, इन आंकड़ो पर गौर करें तो हम पाएंगे कि चीजें पूरी तरह से बुरी और पूरी तरह से अच्छी नहीं हैं. देश का 50 फीसद हिस्सा इस महामारी को मंद करने में सफल रहा है. वहीं बुरी खबर ये है कि देश की जीडीपी में सर्वाधिक योगदान देने वाले कुछ बड़े राज्य इसकी सर्वाधिक चपेट में हैं. आंकड़ों के नजरिए से जानते हैं कि कहां से निकलती है उम्मीद की किरण और कहां यह संकट उम्मीदों को तोड़ देता है. कोरोना से हुई थी पुलिस कांस्टेबल की मौत, अब पत्नी और बेटा भी संक्रमित आपकी जानकारी के लिए बता दे कि देश के 50 फीसद हिस्से में कोविड-19 संकट मंद पड़ रहा है. इन क्षेत्रों में संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं. देश के अन्य 50 फीसद हिस्से की अपेक्षा इस क्षेत्र में संक्रमण के बढ़ने की दर साढे तीन गुना कम है. मामलों की संख्या के लिहाज से देखें तो देश के सात बड़े राज्यों की हिस्सेदारी सर्वाधिक है. इनमें देश के सात राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं. देश के कुल कोरोना संक्रमित मामलों में इन राज्यों की हिस्सेदारी घटा दी जाए तो देश के अन्य हिस्सों में सिर्फ 18 फीसद मामले बचते हैं. कोरोना से जंग के लिए सभी ने लांच की आरोग्य संजीवनी पालिसी, मिलेगा 5 लाख का कवर अगर आपको नही पता तो बता दे कि देश के सात बड़े राज्य जो भारत का 47 फीसद हिस्सा है, देश की 50 फीसद आबादी यहां पर रहती है. इन राज्यों में संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर लगभग दोगुना हो गई है. कुछ दिनों पूर्व लॉकडाउन 1 के दौरान यह सिर्फ 49 फीसद थी, जो बढ़कर के अब करीब 82 फीसद तक पहुंच चुकी है. कुल मामलों का करीब आधा 44 फीसद हिस्सा सिर्फ दो पश्चिमी राज्यों से हैं. ये राज्य महाराष्ट्र और गुजरात हैं. देश में कोरोना वायरस के कारण हुई कुल मौतों में इन दोनों राज्यों की हिस्सेदारी करीब 60 फीसद है. कोरोना फैलाने के जुर्म में चीन से वसूला जाए 600 अरब डॉलर का हर्जाना, SC में याचिका दाखिल 17 मई तक दिल्ली में क्या बंद-क्या चालु ? केजरीवाल सरकार ने दिया स्पष्टीकरण सत्ताधारी पार्टी पर विपक्ष का बड़ा हमला, राष्ट्रपति को पत्र लिखकर दर्ज कराया विरोध