भारतीय मान्यताओं-परंपराओं को अब पश्चिम भी अपनाने पर जोर दे रहा है. वैज्ञानिक भी अपनी रिसर्च में इन मान्यताओं को आधार बना रहे है. वही, नमस्ते के बाद जूते-चप्पलों को घर के बाहर रखने पर वहां जोर दिया जा रहा है. कोरोना के प्रकोप ने उन्हें भारतीय ज्ञान-विज्ञान में उम्मीद की किरण नजर आने लगी है. डॉक्टर्स को बिल्कुल नही है कोरोना का भय, हिमपात चीर कर मरीजों का किया इलाज आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पहले पश्चिय के देश आधुनिकता के नाम पर इन भारतीय परंपराओं को पिछड़ी सोच बताकर विरोध जताते थे. तभी तो आधुनिकता के नाम पर वहां के लोग किचन तक जूते पहनकर घूस जाते हैं. डेलीमेल के अनुसार अब भारतीय पंरपरा को अपनाने पर वहां के वैज्ञानिक भी जोर दे रहे हैं. तमाम शोधकर्ता और वैज्ञानिक कह रहे हैं कि कृपया अपने जूते आप घर के बाहर ही उतारिए और उन्हें साफ रखिए, ताकि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ी जा रही वैश्विक लड़ाई को जीता जा सके. ऑस्ट्रेलिया में बाकायदा सरकार ने निर्देश दिए हैं कि जूते घर के बाहर उतारकर ही अंदर जाएं. कमलनाथ की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में शामिल कोरोना पॉजिटिव पत्रकार पर FIR हुई दर्ज इस मामले को लेकर कैलिफोर्निया के सैन डियागियो शहर की डॉ. जॉर्जियन नैनोस ने बताया कि जूते कोरोना वायरस के बड़े वाहक हो सकते हैं. इन्हें हर हाल में घर से बाहर ही उतार देना चाहिए. जूते का सोल बैक्टिरिया, फंगस और वायरस की अच्छी शरणस्थली है. डेलीमेल के अनुसार डॉ. नैनोस के दावे को वायरोलॉजिस्ट डॉ. मैरी ई स्कैमिडट भी सही बताती हैं. उन्होंने कहा कि जूता चाहे लेदर का हो या कैनवास का या फिर किसी सिंथेटिक पदार्थ का, उस पर वायरस जिंदा रह सकते हैं. कोरोना वायरस के लिए जूते बेहतरीन कैरियर हैं. जूतों पर कोरोना वायरस पांच दिन तक जिंदा रह सकता है, जबकि स्टील और प्लास्टिक पर कोरोना वायरस तीन दिन (72 घंटे) तक ही जिंदा रह सकता है. चिकित्सा राहत के वैकल्पिक उपायों के लिए सभी प्रयास करें : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद क्या राजमाता के पदचिन्हों पर चल रहे हैं सिंधिया? हिंदुस्तान को कोरोना की मार से बचाएगा मौसम ! एक अध्ययन में किया गया दावा