भारत के अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी कोरोना वायरस अपने पैर पसार रहा है. साथ ही, राज्य सरकार ने स्वास्थ्य समेत 10 सेवाओं पर आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागू कर दिया है. कोरोना के संभावित खतरे को देखते हुए गृह विभाग ने शनिवार को आदेश जारी किया. यह आदेश सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों, वहां के डॉक्टर समेत उनके स्टाफ पर लागू होगा. इससे अब इन सेवाओं से जुड़े लोग न तो काम करने से मना कर सकते हैं और न ही हड़ताल पर जा सकते हैं. खौफनाक हादसा: एक ही परिवार के 4 लोगों को टेंपो ने कुचला आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सरकार ने स्वास्थ्य के साथ ही सफाई, पानी और सुरक्षा को भी एस्मा के दायरे में ले लिया है. वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम (बीएमडब्ल्यू) पर भी एस्मा लागू किया गया है. WHO ने हाल ही में कोरोना वायरस के बढ़ते आकड़ो के चलते भारत को दिए ये निर्देश जानिए क्या है एस्मा एस्मा का उपयोग किसी भी सेवा को निर्बाध बनाए रखने के लिए किया जाता है. इसके लागू होने के बाद उससे संबंधित काम करने वाले कर्मचारी काम से न तो इन्कार कर सकते हैं और न हड़ताल कर सकते हैं. एस्मा का नियम अधिकतम छह माह के लिए लगाया जा सकता है. एस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दंडनीय है. इस आदेश से संबंधि किसी भी कर्मचारी को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है. वही, छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के दौरान मुनाफाखोरी पर नकेल कसने की हर संभव कोशिश की जा रही है. गेहूं और आटा की बढ़ती कीमतों को देखते हुए राज्य सरकार ने राज्य के हर जिले में अतिरिक्त गेहूं उपलब्ध कराने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) 7250 मीटिक टन गेहूं की बिक्री करेगा. गेहूं की प्रारंभिक कीमत 2135 रुपये प्रति क्विंटल है. कोरोना: गरीबों पर भूख और लॉकडाउन की दोहरी मार, अब तक 13 लोगों की मौत चमत्कार: मात्र 10 दिन में गर्म पानी और डाइट से ठीक हुए 'कोरोना' के मरीज, वापस लौटे घर कोरोना का खौफ, दिल्ली की जेल से रिहा किए गए 419 कैदी