देशभर में कोरोना के कहर ने एक बार फिर से कोहराम मचाया हुआ है। एक बार फिर से कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आपको बता दें कि बीते 24 घंटे में 37 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। वहीं इस दौरान 100 से अधिक कोरोना मरीजों की मृत्यु हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों को माने तो बीते 24 घंटे में कोरोना के 37,379 नए मामले दर्ज किए गए हैं और 124 लोगों की कोरोना के कारण मृत्यु हो गई है। वहीं इस दौरान 11,007 रिकवरी हुई हैं। अभी रिकवरी रेट 98।13 फीसद है। आप सभी को बता दें कि ओमिक्रोन के देश में अब तक 1892 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 766 लोग ठीक हो गए हैं। इस लिस्ट में सबसे आगे महाराष्ट्र है। यहाँ अब तक के सबसे ज्यादा 568 केस महाराष्ट्र से सामने आए हैं और इसके बाद 382 मामले दिल्ली में दर्ज किए गए हैं। हालाँकि इस बीच एक्सपर्ट डा. अरोड़ा का कहना है कि ओमिक्रोन वैरिएंट लंबे समय तक गले में ठहरता है। इसके चलते वह तेजी से फैलता है। इसलिए यह संक्रमण के मामले में डेल्‍टा वैरिएंट की तुलना में तीन गुना तेजी से फैलता है। इसके अलावा उन्‍होंने यह भी कहा कि, 'अगर हम सचेत नहीं रहे तो यह वायरस बहुत तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले सकता है। इससे भले ही खतरा कम हो, लेकिन यह बहुत तेजी से फैलेगा।' इसके अलावा डॉक्टर अरोड़ा ने यह भी कहा कि, 'यह फेफड़ों में अपनी कॉपी बहुत तेजी से नहीं बना पाता इसलिए मरीज गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचता है। यही कारण है कि वैरिएंट बहुत तेजी से फैलता है, लेकिन डेल्‍टा वैरिएंट की तरह शरीर को बहुत तेजी से छोड़ भी देता है।' इसके अलावा उन्‍होंने यह भी कहा कि, 'वायरस के गंभीर लक्षण भले ही कम हों, लेकिन मरीजों की ज्यादा संख्या हमारे लिए खतरे की घंटी है। अनुमान के मुताबिक, तीसरी लहर की पीक के दौरान 40-60 हजार मरीजों को अस्‍पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है। ये हमारे हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक नई चुनौती पैदा कर सकता है। सरकार की भी यही चिंता है। यह वैरिएंट लोगों को अपनी चपेट में तेजी से ले रहा है। कई देशों में रिकार्ड मामले सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए चिंता लाजमी है।' आगे उन्होंने कहा- 'यदि हम सतर्क नहीं हुए तो कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं होगा। इसलिए सरकार की गाइड लाइन को सख्‍ती से पालन करने की जरूरत है। अगर हम ओमिक्रोन को लेकर सावधान रहे तो एक स्थिति ऐसी आएगी, जब संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने या जान जाने के मामले बहुत कम हो जाएंगे और विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे महामारी की श्रेणी से बाहर कर देगा। अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि किस स्तर पर डब्ल्यूएचओ ऐसा फैसला करेगा। शुरुआती शोध बताते हैं कि मौजूदा टीके ओमिक्रोन के मामले में कम एंटीबाडी बना रहे हैं। इसलिए विज्ञानियों के समक्ष ज्यादा कारगर टीका विकसित करने की चुनौती है।' आगे उन्होंने यह भी कहा कि- 'डायबिटीज, हाइपरटेंशन या टीबी जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीज ओमीक्रान संक्रमण से उबरने में थोड़ा ज्यादा वक्त ले रहे हैं। डेल्टा वैरिएंट से हुई कोरोना महामारी को ठीक होने में सात से 10 दिन लगते थे। कुछ मरीजों को तो बीमारी से उबरने में और ज्यादा वक्त लग जाता था। कुछ डेल्टा मरीज तो दो महीने से भी ज्यादा वक्त में निगेटिव होते थे। आंकड़े बताते हैं कि ओमिक्रोन वैरिएंट के मामले में सप्ताहभर के अंदर 92 फीसद मरीजों के आरटी-पीसीआर टेस्ट निगेटिव आ रहे हैं। वहीं, पांच फीसद मरीज आठवें दिन, जबकि तीन फीसद मरीज 9वें दिन निगेटिव पाए जा रहे हैं। सिर्फ एक मरीज जिसे टीबी की बीमारी भी थी, वो लंबे समय तक पाजिटिव पाया गया।' कोरोना और Omicron से बेहाल दिल्ली, मई के बाद से सबसे अधिक हुई संक्रमण दर विधानसभा चुनावों पर कोरोना का ग्रहण, निर्वाचन आयोग सख्त कर सकता है नियम फ्रांस ने नए कोविड 'IHU' संस्करण की पहचान की, 12 संक्रमित