पटना। बिहार में मध्याह्न भोजन योजना के तहत दूषित भोजन बच्चों को परोसे जाने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। हालात ये हैं कि गोलघर, समेत कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाॅं अमानक स्तर का भोज्य पदार्थ मध्याह्न भोजन में परोसा जाता है। मिली जानकारी के अनुसार अदालतगंज के प्राथमिक विद्यालीय में विद्यार्थियों ने दूषित खिचड़ी परोसे जाने की शिकायत की थी। कहा गया है कि इस खिचड़ी में कीड़े और कंकड़े भी थे। हालांकि अभी इस मामले में पुष्टि नहीं हो पाई है और न ही हमारे पास अधिकारिक तौर पर मध्याह्न भोजन के दूषित होने की कोई जानकारी है लेकिन मीडिया में कथित तौर पर यही कहा गया है कि राज्य के कई क्षेत्रों में मध्याह्न भोजन में लापरवाही बरती जा रही है। मध्याह्न भोजन योजना में बनने वाले भोजन की गुणवत्ता और साफ सफाई को ध्यान में नहीं रखा जा रहा है। जिस विद्यालय में दूषित खिचड़ी परोसे जाने की बात सामने आई है वहां लगभग 300 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। हालांकि अधिकांश विद्यार्थी मध्याह्न भोजन का लाभ नहीं लेते लेकिन इसके बाद भी मध्याह्न भोजन करने वालों की उपस्थिति करीब 290 विद्यार्थियों तक दर्शा दी जाती है। हालात ये हैं कि कुछ छात्राऐं तो स्कूल परिसर के बाहर मिलने वाली खाद्य सामग्री तक खरीदने पर मजबूतर हो जाती हैं। विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना के लिए खरीदे गए चांवल में कीड़े लग रहे हैं तो चांवल को बेतरतीबी से स्टाॅक कर रखा जाता है। मिड डे मिल योजना के रजिस्टर को मेंटेन तक नहीं किया जाता है। मध्याह्न भोजन में परोसे गए भोजन से मेनु चार्ट मेल नहीं खाता है। मसलन शनिवा को खिचड़ी देने का निर्देश है खिचड़ी के ही साथ सब्जियाॅं देनी होती हैं लेकिन इस नियम का पालन नहीं किया जाता है। एक कक्ष में विद्यार्थी अध्ययन करते हैं जबकि दूसरे में भोजन पकाया जाता है। विद्यालय परिसर में मिड डे मिल तैयार करने के लिए उपयुक्त स्थान तक नहीं है। अधिकारियों को बताया गया कि मध्याह्न भोजन परोसने के लिए थालियाॅं तक पर्याप्त तौर पर उपलब्ध नहीं है मगर इसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। राज्य में मिड डे मिल योजना का बुरा हाल है। कई बार शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं की जाती है। चौथी के छात्र की स्कूल में संदिग्ध हालत में मौत, स्कूल पर लगा लापरवाही का आरोप शिक्षकों का कक्षा में मोबाइल ले जाने पर लगा बैन