आज़ादी कूच रैली मामले में 'जिग्नेश मेवाणी' को राहत और झटका दोनों, जमानत तो मिली लेकिन ...

अहमदाबाद: गुजरात के मेहसाणा की एक सेशन कोर्ट ने वडगाम के MLA जिग्नेश मेवाणी और 10 अन्य आरोपियों पर कोर्ट की अनुमति के बगैर गुजरात छोड़ने पर रोक लगा दी है। 2017 में पुलिस की इजाजत के बिना रैली आयोजित करने के मामले में अदालत ने शनिवार को फैसला सुनाया। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मामले में मेवाणी और अन्य आरोपियों को 3 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। जेल से बचने के लिए लोअर कोर्ट के निर्देश को फैसले की तारीख से एक महीने के अंदर चुनौती दी जानी थी।

जैसे ही आरोपी ने 3 जून को जमानत के लिए सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जज ने जमानत दे दी। हालांकि, कोर्ट ने यह शर्त रखी कि मेवाणी और अन्य आरोपी गुजरात नहीं छोड़ सकते और उन्हें अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा करना होगा। इस मामले के अन्य आरोपियों में NCP नेता रेशमा पटेल और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के समन्वयक सुबोध परमार का नाम शामिल हैं। बता दें कि कोर्ट ने पिछले महीने आरोपी को IPC की धारा 143 के तहत गैरकानूनी सभा में शामिल होने का दोषी करार दिया है। सभी दस दोषियों को तीन माह की जेल और एक-एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है।

क्या है 'आज़ादी कूच' रैली मामला ?

बता दें कि 12 जुलाई, 2017 को बनासकांठा जिले के मेहसाणा से धनेरा तक रैली 'आजादी कूच' का आयोजन किया गया था। यह रैली एक मृत गाय की खाल को लेकर उना में कथित 'गौ रक्षकों' की तरफ से कुछ दलितों की सार्वजनिक पिटाई के एक साल बाद निकाली गई थी। मेवाणी के मुताबिक, रैली का मकसद गुजरात सरकार से दलितों को आवंटित जमीन के अधिकारों को पुनः प्राप्त करने के लिए दखल की मांग करना था, जिस पर गुंडों और असामाजिक तत्वों ने गैरकानूनी रूप से कब्जा कर लिया था। हालाँकि, इस रैली को इजाजत नहीं थी, फिर भी मेवाणी ने रैली निकाली थी, जिसके बाद उनपर केस दर्ज हुआ था। 

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