नई दिल्ली: 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में दोषी करार दिए गए कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर की जमानत याचिका पर सुनवाई करने से सर्वोच्च न्यायालय ने आज शुक्रवार (3 फ़रवरी) को इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह ऐसा मामला नही है, जहां आप 9 साल के अंदर जमानत याचिका दाखिल करें. गत माह 3 जनवरी को शीर्ष अदालत ने कांग्रेस नेता बलवान खोखर की जमानत याचिका पर CBI से जवाब तलब किया था. न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की बेंच ने इस बात पर ध्यान दिया था कि खोखर 50 फीसद विकलांग होने के अलावा मामले में अब तक 8 वर्ष और 10 महीने की कैद काट चुका है. इससे पहले मई 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत या पैरोल देने से मना कर दिया था. सज्जन कुमार और बलवान खोखर दिल्ली उच्च न्यायालय की तरफ से 17 दिसंबर 2018 को मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद से तिहाड़ जेल में कैद हैं. खोखर की आजीवन कारावास की सजा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2018 में बरकरार रखा था. नवंबर 1984 को पालम के राजनगर में 5 सिखों की हत्या के मामले में लोअर कोर्ट के अप्रैल 2013 के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार उम्रकैद की सजा सुनाई थी. लोअर कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा था कि जिसमें बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव व कृष्ण खोखर को सजा सुनाई गई थी. लोअर कोर्ट ने बलवान खोखर, गिरधारी लाल व भागमल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अदालत ने दंगों के दौरान इलाके में सिख परिवारों के घरों और एक गुरुद्वारे को जलाने की आपराधिक साजिश का भी दोषी पाया था. ट्रायल कोर्ट ने 2013 में बलवान खोखर, भागमल और लाल को उम्रकैद और यादव और किशन खोखर को तीन वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी. उच्च न्यायालय के फैसले के बाद यादव और किशन खोखर की सजा को बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है. कभी इंदिरा गांधी ने BBC पर लगाया था बैन, आज मोदी की डॉक्यूमेंट्री दिखाने को कांग्रेस क्यों बैचैन ? सीएम केजरीवाल तक पहुंची शराब घोटाले की आंच, आरोपियों से सांठगांठ का इल्जाम - ED की चार्जशीट आम जनता को सरकार का बड़ा तोहफा, किया ये बड़ा ऐलान