श्रीनगर: हत्या के किसी मामले में आरोपी के खिलाफ तक़रीबन 30 वर्ष तक किसी अदालत में मुकदमा ही न चले, ऐसा केस शायद ही देश के किसी कोने से सुनने में आया होगा। किन्तु 5 अगस्त 2019 तक विशेष दर्जे रखने वाले जम्मू कश्मीर में ऐसा ही एक मामला कोर्ट और पुलिस स्टेशन में धूल फांकने के बाद अब सुनवाई के लिए प्रकाश में आया है। यह हाई प्रोफाइल केस जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक का है। यासीन मलिक और उसके साथियो पर 25 जनवरी 1990 को कश्मीर के सनत नगर क्षेत्र में 4 एयरफोर्स अधिकारियो की गोलियां मार के हत्या करने और 22 लोगों को जख्मी करने का इल्जाम लगा था। सीबीआई ने अगस्त 1990 में मलिक और उसके साथियों के खिलाफ जम्मू की टाडा अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दिया था, जिसकी सुनवाई पर जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने 1995 मैं इस ग्राउंड पर रोक लगा दी थी। दरअसल, कश्मीर में टाडा अदालत नही है इसलिए इस मामले की सुनवाई जम्मू में नही हो सकती। तीस वर्ष के बाद अब मामले की सुनवाई करने की अनुमति मिली है। यासीन मलिक फिलहाल टेरर फंडिंग के मामले में NIA की हिरासत में तिहाड़ जेल में कैद है। बिहार: लोहिया की पुण्यतिथि के बहाने अपनी शक्ति दिखाएगा विपक्ष, भाजपा ने किया कटाक्ष 11 सितम्बर को दो दिवसीय दौरे पर अमेठी पहुंचेंगी स्मृति ईरानी, दे सकती हैं बड़ी सौगात कश्मीर मुद्दा: पाकिस्तान ने UNHRC में पेश किया 115 पन्नों का झूठ का पुलिंदा, भारत पर लगाए ये आरोप