मंगलवार को पुलिस ज्यादतियों के आरोपों के बीच उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर ने बताया कि न्यायपालिका को सुनिश्चित करना होगा कि पुलिस प्रशासन जांच के मामले में अपने अधिकारों की सीमा नहीं लांघे और निष्पक्ष रूप से काम करे. उन्होंने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह के मामले दायर करने के लिए इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है. उन्होंने आगाह किया कि मजिस्ट्रेट की अदालत को आंख मूंद कर अभियोजन पर भरोसा नहीं करना चाहिए. कोरोना से 'लहूलुहान' दिल्ली, 24 घंटों में 62 की मौत आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पत्रकारिता के अपराधीकरण का प्रभाव' विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जांच के समय और आरोपपत्र दाखिल करते वक्त कानूनों की गलत व्याख्या हो रही है. ऐसी स्थिति में न्यायपालिका को अधिक चौकन्ना रहने की आवश्यकता है. नवंबर तक मुफ्त अनाज, जानिए आपको कैसे मिलेगा लाभ ? इसके अलावा आठ राज्यों के अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लाकडाउन के दौरान निजी स्कूलों की तीन महीने की (एक अप्रैल से जून तक की) फीस माफ करने और नियमित स्कूल शुरू होने तक फीस रेगुलेट किये जाने की मांग की है. यह भी मांग है कि फीस न देने के कारण बच्चों को स्कूल से न निकाला जाए क्योंकि कोरोना महामारी के चलते हुए राष्ट्रव्यापी लाकडाउन में रोजगार बंद होने से बहुत से अभिभावक फीस देने में असमर्थ हो गए हैं. वही, सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वह याचिका में प्रतिवादी बनाए गए आठो राज्यों राजस्थान, ओडिशा, गुजरात, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश को या फिर सभी राज्यों को इस बारे में आदेश दे. मध्य प्रदेश में शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार एक बार फिर टला देश भर में लगातार बढ़ रहा कोरोना, मौत के आंकड़ों में हुई बढ़ोतरी आम जनता को लगा बड़ा झटका, गैस सिलेंडर हुआ फिर महंगा