नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण के चलते विश्वभर के चिकित्सकों तथा हेल्थ केयर वर्कर्स पर बहुत दबाव था। ICMR ने एक नई स्टडी में कहा है कि कोरोना संक्रमण का देश के स्वास्थ्य कर्मियों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ा है। ICMR की इस स्टडी से पता चला है कि काम के घंटों में वृद्धि, व्यक्तियों के दुर्व्यवहार तथा महामारी के चलते अतिरिक्त जिम्मेदारियों का स्वास्थ्य कर्मियों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ा है। इस के चलते उन्हें नए नियमों के अनुकूल होने तथा स्वयं को सामान्य करने के लिए मानसिक दबाव झेलना पड़ा। वही ICMR में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, कोरोना संक्रमण ने सोशल तथा प्रिंट मीडिया प्लेटफार्म पर बड़े स्तर पर हुए शोषण के अनुभवों ने स्वास्थ्य कर्मियों के मानसिक सेहत पर प्रभाव डाला है। स्टडी में बताया गया है कि भारत में चिकित्सकों तथा नर्सों को अस्पतालों में परेशान करने के मामले सामने आए। संक्रमण के चलते देश के कई भागों में स्वास्थ्य कर्मियों के विरुद्ध हिंसा की भी तहरीर प्राप्त हुई। इन सभी वजहों से स्वास्थ्यकर्मियों में तनाव, चिंता तथा अवसाद की दिक्कतें उतपन्न हुई। वही ICMR के अध्ययन में उन चुनौतियों की तरफ संकेत किया गया है जो स्वास्थ्यकर्मियों के वर्क कल्चर में बड़े परिवर्तन की वजह से हुई। अधिकांश स्वास्थ्यकर्मी इस परिवर्तन के लिए तैयार नहीं थे। अनिश्चितकालीन तौर पर काफी वक़्त तक काम करने के चलते ना केवल चिकित्सक तथा हेल्थ केयर वर्कर्स को नींद की कमी से जूझना पड़ा। इसके साथ-साथ उनकी फ़ूड हैबिट भी बिगड़ी। महामारी के कारण उत्पन्न हुए काम के दबाव की वजह से अधिकांश स्वास्थ्यकर्मियों को वक़्त से खाना खाने का भी समय नहीं प्राप्त हुआ। 100 करोड़ की वसूली मामले में ED ने दायर की चार्जशीट, हुए चौकाने वाले खुलासे शुरू हुई PM मोदी को मिले उपहारों की नीलामी, नीरज चोपड़ा के भाले पर लगी करोड़ों की बोली पीएम मोदी के जन्मदिन पर बना टीकाकरण का रिकॉर्ड, 1.30 बजे तक पार किया करोड़ों का आंकड़ा