हमास नहीं, इजराइल है 'आतंकवादी' ! क्या 'वोट बैंक' के लिए ये तमाम समझौते कर रही कांग्रेस ?

कोच्ची: केरल में एक दिन पहले इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) द्वारा आयोजित फिलिस्तीन एकजुटता रैली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के सदस्य शशि थरूर के भाषण पर विवाद खड़ा हो गया है। थरूर का कसूर बस इतना था कि, उन्होंने 7 अक्टूबर को इज़राइल पर हुए हमले को 'आतंकवादी हमला' कह दिया था, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोग और सत्ताधारी CPIM नाराज़ हो गए। CPIM नेता और पूर्व विधायक एम स्वराज ने आरोप लगाया कि शशि थरूर की कुछ टिप्पणियाँ इज़राइल समर्थक थीं, और कांग्रेस सांसद यह स्वीकार करने में विफल रहे कि यह (इजराइल) एक "आतंकवादी" राष्ट्र था।

तिरुवनंतपुरम के सांसद पर कटाक्ष करते हुए, CPIM के राज्य सचिवालय सदस्य, एम स्वराज ने कहा कि उन्होंने (थरूर ने) जो किया, वह IUML की कीमत पर इज़राइल के साथ एकजुटता बैठक थी। सोशल मीडिया पर फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के समर्थकों और वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग के तीव्र हमले का सामना करने के बाद हुए शशि थरूर को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा। उन्होंने सफाई में कहा कि 'वह हमेशा फिलिस्तीन के लोगों के साथ रहे हैं और वह अपने भाषण के सिर्फ एक वाक्य के प्रचार से सहमत नहीं हैं।'

 

केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) द्वारा जारी एक शार्ट वीडियो में शशि थरूर ने कहा कि, "मैं हमेशा फिलिस्तीन के लोगों के साथ रहा हूं।" इससे पहले, एक फेसबुक पोस्ट में, CPIM नेता, एम स्वराज ने तंज कसते हुए कहा था कि थरूर को पूरा यकीन था कि फिलिस्तीन की ओर से जो हुआ वह एक "आतंकवादी हमला" था, भले ही उस देश का 90 प्रतिशत हिस्सा इज़राइल से हार गया था। स्वराज ने यह भी कहा कि, 'उन्हें (थरूर को) यह भी यकीन था कि 7 अक्टूबर के बाद इजराइल की ओर से जो हुआ वह उसका "जवाब" था।'

स्वराज ने आगे कहा कि, "थरूर ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जो शब्दों के अर्थ नहीं जानते। वह ऐसे व्यक्ति भी नहीं हैं, जो इस बात से अनजान हों कि इतिहास 7 अक्टूबर को शुरू नहीं हुआ था।" उन्होंने कहा कि, फिर भी, कांग्रेस नेता यह स्वीकार करने में विफल रहे हैं कि इजराइल एक "आतंकवादी राष्ट्र" है। स्वराज ने आगे आरोप लगाया कि तेल अवीव से इज़राइल और IUML रैली से शशि थरूर फिलिस्तीन पर हमला कर रहे थे। इसके साथ ही LDF विधायक के टी जलील ने भी थरूर की आलोचना की और कहा कि उनके भाषण से यह संदेश जाएगा कि यह इजरायल समर्थक रैली थी।

टी जलील ने एक फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि, क्या IUML रैली इज़राइल के साथ एकजुटता में आयोजित की गई थी ? लेकिन अगर कोई मुख्य वक्ता के भाषण को सुनता है, तो ऐसा ही प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, IUML नेता पी के कुन्हालीकुट्टी ने उन समूहों की आलोचना की जो कथित तौर पर रैली पर विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग द्वारा आयोजित विशाल रैली ने फिलिस्तीनी मुद्दे के पक्ष में जनमत तैयार करने में मदद की है और थरूर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह फिलिस्तीनी मुद्दे के साथ हैं।

केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) के प्रमुख सहयोगी IUML ने गाजा पट्टी पर इजरायली हमले में महिलाओं और बच्चों समेत नागरिकों की कथित अंधाधुंध हत्याओं की निंदा करते हुए गुरुवार को उत्तरी कोझिकोड में एक विशाल रैली का आयोजन किया। हजारों IUML समर्थकों ने फिलिस्तीन एकजुटता मानवाधिकार रैली में भाग लिया, जिसका उद्घाटन IUML नेता पनाक्कड़ सैयद सादिक अली शिहाब थंगल ने किया। शशि थरूर इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे,उन्होंने पिछले 19 दिनों में देखी गई "सबसे दुखद मानवाधिकार आपदाओं में से एक" पर अफसोस जताया था।

 

कांग्रेस सांसद थरूर ने कहा कि, "यह भारत में और शायद दुनिया भर में मानवाधिकारों की रक्षा और शांति के पक्ष में देखी गई सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक रैलियों में से एक हो सकती है। यह शांति के लिए एक रैली है।" उन्होंने कहा कि शुरुआत में इजराइल और बाद में गाजा में निर्दोष महिलाओं और बच्चों को हताहत होना पड़ा और उन्होंने इस संघर्ष को समाप्त करने की अनिवार्यता पर जोर दिया। शशि थरूर ने शांति के प्रति भारत की ऐतिहासिक प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए इसे महात्मा गांधी के युग से जोड़ा। उन्होंने कहा, ''हम हमेशा इस संकट के स्थायी समाधान के लिए खड़े रहे हैं।'' थरूर ने स्पष्ट शब्दों में फिलिस्तीनी सशस्त्र समूह हमास द्वारा 7 अक्टूबर को इज़राइल में किए गए हमले की भी निंदा की और इसे 'आतंकवादी कृत्य' बताया। थरूर ने कहा था कि, "7 अक्टूबर को आतंकवादियों ने इज़राइल पर हमला किया और 1,400 लोगों की जान ले ली। दो सौ लोगों को बंधक बना लिया गया। जवाब में इज़राइल ने 6,000 लोगों को मार डाला। बमबारी जारी है।" जिसके बाद CPIM, मुस्लिम लीग और मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग थरूर और कांग्रेस पर भड़क गए और थरूर को सफाई जारी करनी पड़ी और इस बात पर मौन रहना पड़ा कि, हमास नहीं, बल्कि इजराइल एक आतंकवादी राष्ट्र है। 

कांग्रेस को भी फिलिस्तीन विवाद पर लेना पड़ा था यू-टर्न :-

बता दें कि, फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास ने 7 अक्टूबर को अचानक हमला करके यहूदी अवकाश पर गए 150 से अधिक सैनिकों, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों सहित 1,200 से अधिक इजरायलियों की हत्या कर दी थी। हमास आतंकवादियों द्वारा कई विदेशी नागरिकों की हत्या कर दी गई या उनका अपहरण कर लिया गया। इज़रायली सेना अभी भी शवों की खोज कर रही है, उनमें से कुछ जलकर मर गए थे। जले हुए घर, मृत परिवार और बर्बाद गांव बताते हैं कि हमला कितना भयानक था। ऐसे समय में अरब देशों के कुछ हितों के लिए भारत से फिलिस्तीन का पक्ष लेने की उम्मीद करना भारत के लिए सही नहीं था। पीएम मोदी ने कड़े शब्दों में इस आतंकी संगठन की निंदा की थी, और इजराइल के प्रति समर्थन जाहिर किया था। दरअसल, इजराइल पर हमले को लेकर भारत की प्रतिक्रिया वैसी ही रही है, जैसी दुनिया के ज्यादातर ताकतवर नेताओं की थी।  

इजराइल पर हुए वीभत्स हमले के दो दिन बाद यानी सोमवार (9 अक्टूबर) को कांग्रेस ने सुबह एक बयान जारी करते हुए इजराइल पर हुए हमले की निंदा की थी, हालाँकि, कांग्रेस ने हमले को 'आतंकी हमला' कहने से परहेज किया था। लेकिन, इसके बावजूद कांग्रेस के मुस्लिम समर्थक नाराज़ हो गए थे और सोशल मीडिया पर कांग्रेस को वोट न देने की धमकी देने लगे थे। इसके बाद कांग्रेस ने उसी दिन शाम को बड़ा यू-टर्न लेते हुए अपनी वर्किंग कमिटी (CWC) की मीटिंग में बाकायदा फिलिस्तीन (हमास का समर्थक) के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया, यहाँ कांग्रेस ने इजराइल पर हुए हमले का कोई जिक्र ही नहीं किया। ये कदम कांग्रेस ने इसलिए उठाया है कि, उसका मुस्लिम वोट बैंक नाराज़ न हो, क्योंकि आने वाले दिनों में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव। लेकिन, ये भी एक बड़ा सवाल है कि, जिस हमास ने 40 मासूम बच्चों की निर्मम हत्या कर दी, महिलाओं के रेप किए, उन्हें नग्न कर घुमाया, बिना उकसावे के इजराइल के लगभग 1200 लोगों का नरसंहार कर दिया, उसे आतंकी संगठन नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे ? सीमा विवाद तो भारत का भी पाकिस्तान के साथ है, लेकिन जब पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर में हमला करते हैं, तो उसे हम आतंकी हमला ही कहते हैं न या फिर कुछ और ? आज भी इजराइल के लगभग 200 लोग हमास के पास बंधक हैं, तो क्या एक देश अपने नागरिकों को आतंकियों के चंगुल में छोड़ सकता है ? उन्हें बचाने के लिए इजराइल को लड़ना नहीं चाहिए, या अपने 1200 लोगों की मौत पर मौन धारण कर लेना चाहिए ? जैसा भारत ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के दौरान किया था और लगभग 200 लोगों की जान लेने वाले पाकिस्तानी आतंकियों को क्लीन चिट देते हुए '26/11 ​हमला-RSS की साजिश' नाम से किताब लॉन्च कर दी गई थी।

अंग्रेज़ों की 'न्याय प्रणाली' बदलेगी मोदी सरकार, अमित शाह बोले- IPC, CrPC और एविडेंस एक्ट की जगह 3 नए बिल जल्द पारित होंगे

राहुल गांधी की 'गुप्त' विदेश यात्राएं जारी, आज सुबह-सुबह उज्बेकिस्तान से लौटे, पिछले दौरों पर भी हुआ था विवाद !

दिल्ली की हवा क्यों हो रही जहरीली ? अब AAP सरकार को नहीं पता, सालों से पंजाब में 'पराली जलाने' को दे रहे थे दोष !

  

Related News