संयुक्त राष्ट्र: खतना का नाम सुनते ही जिस्म में सिहरन सी होने लगती है, शरीर के उस नाज़ुक से अंग को बिना किसी अनेस्थिसिया के दर्दनाक तरीके से काट देना, वो भी उस उम्र में जब बच्चा ठीक से बोलना भी नहीं सीखता. आज तक खतना के बारे में सबको इतना तो पता ही होगा, लेकिन आज हम जो बात आपको बताने जा रहे हैं वो हैरान कर देने वाली है, इंसान अपनी घिनौनी सोच का इस क़दर भी ग़ुलाम हो सकता है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. हम बात कर रहे हैं महिलाओं के खतना की, जी हाँ, महिलाओं का खतना, इस प्रक्रिया में महिला योनि के एक हिस्से क्लिटोरिस को ब्लेड से काट दिया जाता है, इस परंपरा को लेकर विश्वास है कि महिला यौनिकता पितृसत्ता के लिए खतरनाक है और महिलाओं को सेक्स का लुत्फ उठाने का कोई अधिकार नहीं है. माना जाता है कि जिस महिला का खतना हो चुका है, वह अपने पति के प्रति ज्यादा वफादार होगी और घर से बाहर नहीं जाएगी. इस बेहद दर्दनाक प्रक्रिया में दौरान ज्यादा खून बहने से बच्ची की मौत भी हो जाती है, दर्द सहन न कर पाने और शॉक के कारण कई बच्चियां कोमा में भी चली जाती हैं. आंकड़ों की माने तो प्रतिवर्ष 39 लाख लड़कियों का खतना होता है और एक अनुमान के मुताबिक अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो वर्ष 2030 तक इनकी संख्या बढ़कर 46 लाख पर पहुंच जाएगी.आपको बता दें कि इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया ने उसके कब्‍जे वाले इराक के हिस्‍सों में 11 से 46 साल तक की महिलाओं के खतने का फतवा सुनाया है. यह फतवे गृहयुद्ध से जूझ रहे इस देश की लाखों महिलाओं को प्रभावित कर सकता है. कट्टरपंथियों की इस घिनौनी सोच से लड़ने के लिए समूचे विश्व को एक साथ खड़े होने की जरुरत है, वरना यह नरपिशाच इनके अलावा किसी और को चैन से नहीं जीने देंगे. "सऊदी का दोस्त भारत" के साथ सुषमा और किंग की मुलाकात ईरान में महिलाएं हिजाब के ख़िलाफ़ तालिबान पर इतने गोले दागे की रिकॉर्ड बन गया