कोच ज्वाला की भट्टी में तप कर कुंदन बन रहे है नन्हे क्रिकेटर्स

श्रीलंका दौरे के लिए चार दिवसीय मैचों की सीरीज के लिए अंडर-19 टीम में ऑलराउंडर यशस्वी जायसवाल को भी जगह मिली. यशस्वी 16 साल के है और अब अंडर-19 भारतीय टीम का हिस्सा है . ये करिश्मा किया है उनके कोच ज्वाला सिंह ने. ज्वाला अपना भारत के लिए खेलने का सपना कई नए लड़कों के सपने पूरा करने के साथ जी रहे है.

 ज्वाला का सफर 36 वर्षीय उम्र में भी जारी है जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से 1995 मुंबई आने और भारत के लिए खेलने के सपने से शुरू हुआ था. भूखा रहना, फुटपाथ पर सोना, घर से मैदान की दुरी को पाटने के लिए एक रात पहले ही दादर स्टेशन आना उनके संघर्ष की कहानी का हिस्सा है. ज्वाला भी सचिन के कोच रमाकांत आचरेकर के पास पहुंचे उन्होंने कोचिंग से मना कर दिया मगर बाद है कर दी. ज्वाला बल्लेबाज बनना चाहते थे वही कोचों ने उन्हें तेज गेंदबाजी बनाया और ज्यादा अभ्यास से वे बार-बार चोटिल हुए और ये चोटें उनके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर बनने के ख्वाब को तोड़ गई 

बहरहाल उन्होंने कोच के रूप में अपनी नई पारी शुरू की और 2011 में अपनी क्रिकेट अकादमी और ज्वाला फाउंडेशन का आगाज किया. वे कहते हैं कि यह अच्छा ही हुआ क्योंकि यदि मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलता तो मैं अकेला ही खेलता, लेकिन अब मेरी अकादमी के जरिये कई लड़के अपने सपनों को पूरा करेंगे. मुंबई के आजाद मैदान में उन्हें पहली बार यशस्वी मिला और क्रिकेटर बनने 10 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के भदोही आया ये बच्चा शायद ज्वाला को खुद का अक्स लगा इसी लिए उन्होंने उसे न सिर्फ क्रिकेट की बारीकियां सिखाईं, बल्कि उसका पूरा खर्चा भी उठाया. अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान पृथ्वी शॉ भी ज्वाला की भट्टी से निकला कुंदन है.

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