इस जिले में निभाई जाती है ऐसी मन्नत, मासूम बच्चों को नदी में डुबोया जाता है

बैतूल/ब्यूरो। जिले में आस्था के नाम पर जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां निःसंतान दंपत्ति मन्नत मांगने पूर्णा नदी के पास आते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद नवजात बच्चों को पालने में डालकर नदी पार कराते हैं। आस्था के नाम पर देश में फैल रहे अंधविश्वास के चलते अब लोग अपनी जान से ज्यादा चाहने वाले बच्चों को भी कष्ट देने में पीछे नहीं है। बैतूल के भैंसदेही शहर में आस्था और मान्यता के नाम पर मासूम बच्चों को नदी में डुबोया जाता है और बच्चे तकलीफ के कारण रोते और चींखते हैं, मगर उन्हें नदी में डुबोने वाले कोई और नहीं बल्कि उनकी माता होती है। 

जबकि नदी के प्रदूषित पानी में डुबोने से बच्चों को निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है, लेकिन लोगों को इससे क्या लेना उनके सिर पर अंधविश्वास का ऐसा भूत सवार है कि उन्हें कुछ नहीं दिखता। भैंसदेही से निकलने वाली पूर्णा नदी के बारे में लोगों की मान्यता है कि संतान हीन दंपत्तियों को यहां आने पर संतान की प्राप्ति होती है, इसलिए प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर पूर्णा नदी के किनारे एक बड़ा मेला लगता है और भारी संख्या में लोग इस मेले में शामिल होते है। 

इनमें वे लोग भी होते है, जिनको संतान नहीं होती या यहां की मन्नत से संतान होती है। ऐसे लोग अपने बच्चे को लाते है और नदी में भगत के माध्यम से पूजा करा कर बच्चे को पालने में डालकर नदी पार कराते है। लेकिन इस दौरान पालने में पानी भी भर जाता और बच्चा गीला हो जाता है, मगर लोग मानते है कि यह अंधविश्वास नहीं बल्कि देवी के प्रति आस्था है।

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