इस स्थान पर दादा साहब फाल्के ने ​बिताए सुकून के पल

आज यानी 30 अप्रैल को दादा साहब फाल्के का जन्म 1870 में महाराष्ट्र में हुआ था. 19 साल के करियर में 95 फिल्में और 27 लघु फिल्में बनाईं. 1913 में उन्होंने राजा हरिश्चंद्र नाम से पहली मूक फिल्म बनाई. भारतीय इतिहास में उनके योगदान को देखते हुए 1969 से भारत सरकार ने उनके सम्मान में दादा साहब फाल्के अवॉर्ड की शुरुआत की. भारतीय सिनेमा का इसे सर्वोच्च और प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है. 16 फरवरी 1944 को उनका देहांत हो गया.

लॉकडाउन को लेकर नई गाइडलाइन जारी करेगा गृह मंत्रालय, 4 मई से होगी लागू

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के (धुंदीराज गोविंद फाल्के) का जब सिनेमा से मोहभंग हुआ तो काशी के ब्रह्मा घाट स्थित सरदार आंग्रे के बाड़ा में परिवार के साथ दो वर्ष गुजारे थे. ऐतिहासिक बाड़ा में कई जानी-मानी हस्तियां फाल्के से मुलाकात के लिए आईं. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक भी उनमें शामिल रहे. ट्र्रेंसग फाल्के मिशन में मिला दादा का प्रवास स्थल: भारतीय सिनेमा के जनक के काशी प्रवास की बात काशी के लिए भी रहस्य रही. इस रहस्य से पर्दा भारतीय सिनेमा के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 2012-13 के दौरान वाराणसी आए निर्देशक कमल स्वरूप ने उठाया था.

पाक का नया हथियार Twitter, भारत के खिलाफ दुनियाभर में उगल रहा ज़हर

अगर आपको नही पता तो बता दे कि फिल्म डिवीजन के लिए बन रही डाक्यूमेंट्री के दौरान वह यहां आए थे. टीम यहां महीनों डेरा डाले रही. बहुत खोजबीन के बाद टीम आंग्रे का बाड़ा पहुंची थी. जागरण से उस वक्त हुई बातचीत में उन्होंने कहा था कि ‘बहुत लोग नहीं जानते कि दादा साहब फाल्के का उनकी कंपनी में एक साथी के साथ विवाद था, इसलिए वह वाराणसी आए और 1920 से 1922 तक यहां रहे. तिलक समेत कई हस्तियों से उनकी यहां मुलाकात हुई. वह यहां खुश थे’. इस वृत्तचित्र निर्माण के लिए 2006 से ट्र्रेंसग फाल्के मिशन चल रहा था.

मौलाना साद को क्राइम ब्रांच का चौथा नोटिस, पुछा- कहाँ करवाया कोरोना टेस्ट ?

ऋषि कपूर के निधन से देशभर में मातम, जावड़ेकर और गिरिराज ने जताया शोक

कोरोना: भारत में नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला, पिछले 24 घंटों में 67 ने तोड़ा दम

Related News