नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक महत्वपूर्ण नकली मुद्रा विरोधी ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, जिसके परिणामस्वरूप 50 लाख रुपये के नकली नोटों के साथ तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। उत्तर प्रदेश के बदांयू के रहने वाले गिरफ्तार अपराधियों की पहचान आसिफ अली, दानिश अली और सरताज खान के रूप में हुई है। पुलिस को पता चला कि तीनों पिछले पांच वर्षों से बाजार में 5 करोड़ रुपये की नकली मुद्रा चला चुके थे। एक गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए, स्पेशल सेल ने यह जानने के बाद जांच शुरू की थी कि आसिफ बाजार में नकली नोट बेच रहा था। पुलिस को पता चला कि समूह ने नकली नोट छापने के लिए बदायूँ में एक अत्याधुनिक सेटअप स्थापित किया था। फिर यह नकली पैसा देश के विभिन्न क्षेत्रों में डीलरों को वितरित किया गया था। पुलिस को विशेष खुफिया जानकारी मिली थी कि आसिफ भारी मात्रा में नकली नोटों के साथ दिल्ली के अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन के पास आने वाला है। रविवार रात करीब 10 बजे पुलिस ने मेट्रो स्टेशन के पास जाल बिछाकर आसिफ को देखा। पुलिस के संपर्क में आने पर आसिफ ने भागने का प्रयास किया लेकिन उसे पकड़ लिया गया। ऑपरेशन के दौरान उसके दो सहयोगी दानिश और सरताज को भी गिरफ्तार किया गया। आसिफ की गाड़ी TuV की जांच करने पर पुलिस को 500 रुपये के कुल 50 लाख रुपये के नकली नोट मिले। इसके बाद पुलिस ने आरोपी की चार दिन की रिमांड हासिल कर ली। जांच के दौरान, पुलिस ने गिरफ्तार व्यक्तियों के साथ-साथ उनके बदायूँ स्थित ठिकाने का पता लगाया। ठिकाने में लैपटॉप, प्रिंटर, स्याही और कागज सहित नकली नोट छापने का पूरा सेट था। अधिकारियों को आश्चर्यचकित करते हुए, आरोपियों ने खुलासा किया कि वे पिछले पांच वर्षों से नकली नोटों के कारोबार में शामिल थे। तीनों ने इस अवधि के दौरान 5 करोड़ रुपये के नकली नोट बनाने और उन्हें विभिन्न बाजारों में तस्करों को बेचने का अपराध कबूल किया है। आरोपियों में से एक, दानिश, कथित तौर पर यूनानी पद्धति के तहत चिकित्सा का अध्ययन कर रहा है, जबकि सरताज के पास महत्वपूर्ण कंप्यूटर ज्ञान है और वह अपने बदायूँ गांव में एक कंप्यूटर केंद्र संचालित करता है। बता दें कि, भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लाए गए भारतीय न्याय संहिता (BNS) में नकली नोट बनाने, उन्हें चलाने के अपराध को आतंकवाद के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमे कड़ी सजा का प्रावधान है। सरकार का कहना है कि, अधिकतर नकली करंसी का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है और साथ ही ये देश की आर्थिक सुरक्षा को नुक्सान भी पहुंचता है, इसलिए ये कृत्या आतंकवाद की श्रेणी में आता है। अब ये देखना होगा कि, इन तीनों अपराधियों पर आतंकवाद का मुकदमा चलता है या नहीं ? क्योंकि तीनों नए आपराधिक कानून राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी से लागू हो चुके हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को फिर सताई EVM की चिंता, निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर की यह मांग 'जहाँ 500 सालों तक हुआ कुरान का जिक्र, वो मस्जिद हमने खो दी..', सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी नहीं मान रहे ओवैसी, मुस्लिमों को फिर भड़काया 1992 के राम मंदिर आंदोलन में कर्नाटक का कौन-कौन हिन्दू शामिल था ? कांग्रेस सरकार ने खोली 31 साल पुरानी फाइल, धड़पकड़ शुरू !