अबू सलेम का फैसला और ब्लैक फ्राइडे

नई दिल्ली: 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट मामले में टाडा की विशेष अदालत ने आज सुनाए फैसले में कोर्ट ने अबू सलेम समेत छह को दोषी माना और आरोपियों को अलग-अलग सजा सुनाई. मुंबई ब्लास्ट को 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी ढहाए जाने का बदला लेने से जोड़ा गया था। इसी विषय पर एस हुसैन जैदी की किताब पर अनुराग ने 'ब्लैक फ्राइडे' नाम से एक फ़िल्म बनाई है। इस फ़िल्म की रिलीज को लेकर खूब विवाद हुआ था। अंततः फ़िल्म रिलीज हुई.

कहा जा रहा है कि 'ब्लैक फ्राइडे' फ़िल्म के एक सीन ने फ़िल्म के एक सीन ने मुंबई बम ब्लास्ट की बुनियाद रखी।'ब्लैक फ्राइडे' में एक सीन है जिसमें कुछ महिलाओं ने खामोश बैठे दाऊद को डिब्बे में चूड़ियां रखकर भेजी. यह सीन देखकर दाऊद भड़क गया। इसके बाद उसने गैंग को मुंबई की बर्बादी की साजिश रची और एक ही दिन में 12 जगह बम ब्लास्ट करवाए गए ।सबसे पहला धमाका 1.30 बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और अंतिम 3.40 बजे हुआ था। इन धमाकों में 257 लोग मारे गए और करीब 1400 लोग घायल हुए थे। इस घटना ने पूरे देश को झंझोड़ दिया था।

बता दें कि ब्लैक फ्राइडे को रिलीज करने को लेकर बहुत विवाद हुआ। शिव सेना ने कड़ा विरोध किया। यह फ़िल्म दो साल तक रिलीज नहीं हो सकी।बाद में इसे रिलीज किया गया था। फ़िल्म में बाबरी के बाद का दृश्य दिखाया गया था.70 दिनों में बनी इस फ़िल्म की ज्यादातर शूटिंग मुंबई और दुबई में हुई.बाद में बाल ठाकरे ने भी फ़िल्म को क्लीन चिट दे दी थी।

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