नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा प्रारंभ की गई राष्ट्रधर्म पत्रिका की केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन आने वाले डायरेक्टोरेट आॅफ एडवरटाईजिंग एंड विजुअल पलिब्लिसीटी द्वारा मान्यता रद्द कर दी गई है। इस मान्यता के रद्द हो जाने के बाद अब इस पत्रिका को केंद्र सरकार के विज्ञापन नहीं मिल सकेंगे। हालांकि इस पत्रिका के संपादकीय और प्रबंधकीय दल की ओर से कहा गया है कि इस तरह का कार्रवाई गलत है और अभी तक पत्रिका के कार्यालय में इस तरह की जानकारी नहीं आई है जानकारी आने पर हम अपना कदम उठाऐंगे। इस मामले में राष्ट्रधर्म के प्रबंधक पवन पुत्र बादल ने बताया कि यदि इस तरह की कार्रवाई की जाती है तो यह गलत है। पत्रिका का प्रकाशन तो आपातकाल के समय भी बंद नहीं हुआ था। उनका कहना था कि काॅपी बंद न होने की स्थिति में नोटिस दिया जा सकता था। सीधे कार्रवाई करना ठीक नहीं है। गौरतलब है कि इस पत्रिका की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी वे इस पत्रिका के संस्थापक सदस्य थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय को पत्रिका के संस्थापक प्रबंधक बनाया गया था। यह पत्रिका राष्ट्रीय स्वयं संघ के द्वारा राष्ट्र के प्रति लोगों के धर्म को लेकर जागरूक करने का कार्य करती रही है। गौरतलब है कि डीएवीपी ने कुछ और पत्र पत्रिकाओं की मान्यता रद्द की है, जिसमें लगभग 804 पत्र व पत्रिकाऐं हैं। डीएवीपी मान्यता रद्द होने वाली उत्तरप्रदेश की पत्रिकाओं की संख्या 165 है। इन पत्रिकाओं को भी केंद्र सरकार के विज्ञापन नहीं मिलेंगे। अटल जी भी थे हेमा मालिनी के दीवाने-मस्ताने मोदी सरकार के तीन साल पुरे होने पर मंत्रियो को मिला होमवर्क